(८१ १९१]

01101...

५७ } 4. $~ ~ ~~~) ~~~ ~ किक ििणिकििकिककि कय कु ~ => 0-0-43 4. नीयााायकयायििकियिकष्कि कयाय [) $ [कि & 4 ---- -- - 9 ---- 4 | ११ ~ ^ | नणयय न्ययन चष्~-- ~ = 8 ९५ ~^ ?% -.^ 64; ) 1 \ ~ पः सज ९२२ १.५५ 2) 011" ( ^ १२.८५ "वक न्क 0 = (--* + 4 | भ्‌ + ब्द ।/ अम + 3 ^~ # (+; &, 1. >. =) १. 1 ^ [1 ९८५१८ ६. = [+ ्द,,०५४ [4 र्ट { ६३ १२५ ^ % ५7 १,१५.३1८. 9 1 ९, ०118 0 1/4 1999 ५४) 69.) ८: ५9५९ "48 ^ 26 9 ) ९10: (1 4 = ^. | च> र, 1 (८ 98 नि पे | (प 1 (> 1 = 4 ~ 4 ष्ये , चौ पिकः (ऋ & द, (+ क] 11 (॥. (र (4. भ्भूध्टः && (~ > ? > प, "~ < > [ „44, | 0 (> [५ & .{ (^ *, [६ 1 {~1-14 ¢@ (0. नै ( (4 » 1 | १) (> | { (रिः "क 4 6 [0 +` क, (अ [4 8० १. - [र 6 [भ ¢. ~ (ॐ & *& छक $ भद ४1 | फन | ६१५ चरी 1 नो ॥] क्- + + (- भः | | | 1 १। | ५\। | 1 [9 4 (५1 | | ४१४१। | | १११२ १" (4, | $ "च (4 ^} 1 1 (है { © (>, 2.5 + कि + = १११ (= =: 4० (7, 7 \ ३, ४, | 1 = +> १११ 1} १1/70 # ^ ४१ ¢ 0 न्क (ध { (क १५ => (न # 1] 1. 1 # [५ 1 +` 9 (6 6 = १. + 7} 9१, 7 # ९१; १५). १०१६ 1# ५१ ' + # 8 {१३.१९ {73 ि ४4 ‰1 9 ॥/ & + += 4 न> "द १५ 9 5 ~ ^ ; 1) , 4। ११ # ८. # 9 १,१. द+म कु 5 | ' ¢ ^ "# } 8१," # 1 >. १? #; * = ये ' री ~ 4 चः 1 [| # ¢ ' ५; ण्ड द, - | वि +114. त. ४१ = डे ८७ 4 # १६ ५६ | [0.4 (1 [+ 1 म, ॥}- # ^^ 14 ५०३ > 4 ८१ 7 < .4 1 ; + #1 [1 र, १६ ¢ पू] =| # ~ ^. ५६ ६.१ ई. (6 ३. ९,१.५५) = ४: = ६1 4 केः 3.) ८. | नि, ) 1 11८1 - (2 क, एद-4 ६4.45 | || < = | (> ~ {6 नि + कर 4 ०४४ | 1 [ 1५. भ~ +. 3 ८:२८ ~ ~ = ~ भ्म 2 = 1 - 1 | (+ र, | 1 ` 5 (~ 5 4 र्थः +<. ८4 व, + | ~ 1 ~ ~~ | | 1 6 #॥ चं ०० १७० | पै „1 "७ ॥] ^" | ( > ध) + # * भिनति {4 {गनि # ^ # नै 1 # || | ८-11-0 2 ८2 2 ~~~ £ 321 ॥। नि # 2 ( = # 4 8। क. | 1 (नि == =. जक न्न ] धि | रै @ | षै 1 + „# 3019 1 2 ।-) 7 "7 >, ++ २१ पः ==», च, => = ^ == "= ` १1 | त) = (१ ४, कः >= „६ ण्न 9 चज = 1.1, ०४६ | § = | #। (3 ~~ ` ग्नी 4 | धः ५६६ 4 4८ (नव 9 ४] चै 9. & ° = ----- ~ ~ --- ग्ल ~ ~ ------ ज.क जौतकन्क --------~- [२ = ~ = ---- कि (ब --- ७०० न्न --------=----~ [त िष्छोकिकेककनि =| अग ङ्ा"कण्काष्किक ५९ (ल 1 + | = 11 & 1 ~ ~ यो ~ - ~~~ कन भ्न | 4 4 = {५ ४) "ध " # # | || +. (> ॥॥ - ^ (सच 04, | ( || ~+ ०५.८५ ५1॥। मः + | { नू > 9, ५४१ 1 (6 १८३ - षै ° नि

ऋचि चि

| 4 = ।|' (६९|| ~--९। 1 ^. = (9 * 7 ¢, २१

||: || 1:< > अथश्ीमदहापवत प्रथं पस्य व्रा

' | 1 +$ ~ ।। $ | © "१ दे <? >> 9 ६11 + 9 -

| 321. ~ - | & "9 > | ५८ ११ > +, १. 25 >>, 58 3 3 + ०, "१५: ति ॥. ८4५८ | ९१.1९.20 ८८८ -=~---~---------

{ 1

००9 # ~ ---- - नी को 4 4 ष. \ 8 क) (१ ~ 1 27 = ~ श! [१ + चनः की पि मषा के ~त 1 (नी ववुः 1 1 + ५०. ~ 4 | > ^^ {= ------ =-= ~ # एनान न्न ">

¢ - 4: | 7? , 50 (१५ 1 2 4 9 ~~~ ~ < - <~ "~ ८5 [^ +| (~ (५४ भन पय = > =

[न ४। | 1 4 “^ रै

[॥ १४.

. (६0 + ( [+ २. ५५१. अट, % ष्क, - श्र ¢ [च | { मे 2 2८1 2 {02 2/6 4 {24 ५9 (# 14 9 | 1. गन्ति | = | (1 ^। | < ४९. १1 1 न] ' ` 1 7 ५} | 2 [४ थ) 3 (0 „8 7 5 55 गे 4; मेत # 118 8) 429 = ¦ ------~- ~ ~ 9 | ~~ ------ ~ --- == = = # ‰, शक = ~ 1 -वदु-- ~ -- १0. (0 कविः १५४ ६१ कन (द च+ वि | ४५ # | कि के | मैत [ब 1 नयी + " {+ 1 मै ४, ~ (1 + 12 = पक % क, यि ३५ 1 क्रे 9 ~ १॥ $ ९००२३ 4 भ्न स+ 0 ई) 4 1] ^ ++ » ध, ५, *-प =+ + "द ११ +~ न्‌ "द (क कि 4 $ ~ के 91 01 # १.7 = = +, ,4 6 10 \ ५, +र ४. 4 (1 १) | ¢, (९ + 4 (9 १९1 (र्ट .( 2.५ ‰& (+ ८, 14111114 (1414010. 9 (116 ५4 ५1.९14 ५11९9 9 इः # , ¢ 4 + १147101 (1 4101 १*५/५ (> 1 | #^ की ति 1/1 [4६१ | "१ +°) द" ६.) रो 91 सैन ¢ "भ्र = 6 2 { © 0 ५१.01 91011 || | , © | 2 | 4 ६.५ = 1 ५.५४ 14 1. 9 ) ९.1 > 4 1०1 ; 42 र< <^ 1 जभ | / 21 ९7. ६) 1 4 १. @ १.५, ^, | “+ + <) १९, 0 त, 1 | 0 9 1 © 2 {५ ५१९८-1 "५ मेः [४५ «६८ दभ 4 = .८4; नि ~ + १-8-2१ > ® = ११६ & 0१ गुर [द ^ 2 7 €+ ५25 | 7011 १, £, 9 + ६7८ ^ १76 1. (= ५१ | + 9 ^ & 1 पि) , ^ | वि (21. "क | 4; ,८0\ (+; , ^ (> 0.18 ~. (¬^, 4 ^ 1 ^ १" १11 / 1 10८ 2 | ११९१० ८१५६१ 1,20.8 [9 (-{१4५ न, चु \ ५२ प. ५.१4 २५ () २१५. \ १. ४९४ | < 19 4141 ५.) 1/१ { 00 11 4/4 (11. ˆ « ~“ ~ 4 [1 (१ (4 [44 + (१ 4१. ६,५५१ ¢ , १५ (2 + #:\ 4 # ~न # - ४, + * | ~ (स 4 : 1 {थ्व्य 1 | | - जााभककाचयकयोकदन्ययपक्कानोकज कि १२ -------~ वेक 9 & यनि भिनी यि / ध. + 4 7 र्त पः 2 ; | 4 ०4) ।- ५५ ^, | इष्टम्‌ ५५} १९ 91 41 [स 0 (६ 0५ 9८४) १६ 00 ; रः ^ 2; 01८14 १५.५१.५ १५५९. ^; ? कः 4 ७५५ | टी७भ्‌ | ~. (4 , "५ ५० ^५९६ ५.9. +) (“1 4 ना 9 ४," 6. # ¢ $ 4 $ + ४.

9 0011165 3॥11 ।<.5.28/1118 | 1081181 ©0\/6111111617 [2181116 1081 8121851. 21011260 0 81001 ` ~ ~

= हौ > 5 केक, कय , नि = . 0 # का = नि | {~+ ,-+ += कच 7

1

^ ~ 4 \ ९६ | ¢ # | " +, + # मः | | > . ' [न सत [|] # + { ~4 0.2, | १, 2 | - 9 (त

- (8 शयथ सद

1 1 | [न = ( 11१. 1 ; 1 = ९५ \\

|

11

वकः

+ 1 ॥। . (1 # च्चै [ अद्धर ¢ 4 १/6 (4 [> १९ | \ # {द . | \¶, | [९ 11/11. >| 3 | | # 8 द) पस ~ # 1 (44 ~ = ˆ - 4 > ~ 2 | = [च पथ, 4 ‰& ++ ---~- ^ 47 >> 1 11 / ; 9 (९ ~ ॥( | ६4 [४ श) {ॐ ि 4 ~^ (^ > # ५. ] | ^ ष" # @ (--ॐ पः 1 ~ नद ९९ १, ५५“, [४ द. 4 /॥ -“~ - 0 // ; 1 2 # » (२.९ | यो 1

} + > [| , - <--- <

गदि 9 भ्न (१९१ ११ 1०५. <-> न्ख # अड 9 केकि ~ १). ~, < -

=" [+य ००५, कि * 39 == ०. 1 "विदि, (2 29 = (ग ~“ > (ए .*॥ # ; > #ि = (9 + = " = 1 (१५ १, णि " +~ (| >~, £ {> ~ ~~

'

9

५८ सि र} पकर

५0 1 ५५ #९

विण

५१४ ~ ५६. अक == रि 2 ~ चे ~^ = कं + ६८

=

1 ~

५.

|

हि

|

4

|

|=

1

1

8 = [|

¢

`

{ .॥

|,

> णः "व ) जे

हु

^ -

| \ - <

[1 [ए

4 (0 # ५, 1; ध्‌ [क , भै रे के 1 1 १११६ ॥। = ~ | | 4 -- > किनि = योयो को + 1 }

(८)

=| दै

+ ~~, पै + अयु = ऊर

# ।# ( धर्‌

किप (५५ब

(+) 4 ¢ = ~ ^ [ १/९) - 4 भि नन ^~ | 4 र) 0 क्ष = 4; १] ४९ ५८९

= 2/(३ . | 9 1. > [14 (८ =< श्न 6 ~ » > ८.८

+) 4 + २१

ऋ-न दि श्‌ कन -क+ ज-वा" - अकः कोछ-> स-व याः ) 7

4 >

द्रे | (> | | | |: + | (9 | 4/ # २५ | ( (म ~ 9

~ =

"~

1 €) - -- ते | ङे ~ # ५. ( ^ थ्‌ #) / 0. कनः 41. पि + = कि 0 ---- कऋ-१) | १०१. ८: ) < ~ ~}: १८ ४५१ "६८ च, ५०५ द््ट + =>, [ "कशन् ५, | 7 \{ #, , ,११.१॥, +^; = 9 = 1 मि चलित = - = ४१ + | | \ | 17 | | | ६९ + | | | | १) 1 | # = = 1 4 | कै | ्ी < | #. | | | 41] (५ ४1 | ॥# +^ | ५,५4.१. ४) 4. ५) (~ ५५ | १५१4५ ।५।०१..५ ~ | | ( ^ 0

> वेणकानये

धै

| नी [ख 1 नवि

1 नरि 2 3 > 12111111

^; सयते भतो 1 इषः -५।

2

॥` # ; < # + | # | | ~ 1 4 "गद 0 9१6. 1 ५५१) ~, 2 1.4५ 1 ^ 1 11 1 11

[ हि ` / > 1 | पि 111 1 11, 108, ) 1 11111 {

सि

(ति + पि > ~ > = ( ¢ [ (54 ॑ओ > "1" क". 4 (नि ,५ ‰६। % £ १1 - | 4 ) ("2 १९५८ - ¢ ~ शर ०४ नन पै अननु ९। & ' 0

~ (( | -----*- चै =

(१ ध. 9] (६ ६९ ) 9. 22 |ॐ

| (~ , ॥( ~ & ( 7 रः (६ व“ -9 # ( 2

(-4 ५१ ^/ <~ | 2, ] | | 2 ~ ्् 6 कः 1 | = &

८.७1 (\ (५/2

^ ८५. ५९६ (नस्त ५५ . "स्वि ,*. 2, १,“ {1५1 4 ॐ. ~ | 1॥ 11 1; << | ५,

(4)

9 4:

ञे

9

4 नि गोर >^. 6 ग्‌ ब्‌ फु (~ <\ (ह 6 4 ~ १८९ (( ६५ भे १८६ . (८, (111 | 9 1 0 48 = | (६ | 9८ "11 ॥\ + -् ¦ 1 ¢ (॥ १. ०५८ (| (४

प्ट @& ९2 24 ५९ ~ > ) भर = 1 | यऽ ~ | <{ [यि £ 1 मि ~= 444 2 ^; ५९ (> ये 3 ( 4 मज =-= ~ 1 ~~ = ~ < 1 | = = = ~ ==

की नि

|

(6 >= { न्न | /( # पि `] ||| 1 23 2 ५८ ४५; 4 + 4 4 ४। 2 = ४, * नि , 2; 8। |, 9. छः ॥ि £ | “` (8 ~. 3 (भ ~ ग्य - =^ 1 ( ५२ १, .{4 (> 4. ~ =>, # +“ ५.५ १३०४ *, , ६/ 5 & | गत; 4 \ || # ११५५८४०, == = [> "4 ; | ~, | | #१।१ ~ ^ | \ | | | | + / ^. ( | | ।ओ | 1 | 1) | ४०१ 4 | | 1 =) | 4 # < * 5 | | 4 = | | | | # ) 0 ४,४ | > ~ 9) | १.५ [म ५४4 ॥। | [अ~ +)

निशि णक 1 3 री तियनक 4 ०८ ृपिणायाानयणििनािहज हुक किक कण 39 ++ ~ (1

दत 1, च, रै 1 44) | ' १४ + ६.९५.) 1.१ मः

4 011 6 + 4 :

भाप परयाअवतीर्णम्‌ अनोऽपुवीोवेदं शासूपे अनःअभृतदयसंयुतेरसरूपं भागवतंरैरसज्ञाःअतोपक्तिमनःपुरषायुहुषुहुःपिवत | [% ।. ||| ऽएवेग्सोङ्जयेणभोतृनभिभुखीरूयभागवतशास्तमार मते भैभिषारण्येरिष्णुकषनेशोनरादयःकषयःभीरिषाषय सहससय ||| ' . . ||| सरसाध्येसभेरूतसेनःएकरापे्रसयःपातहुतहुवाणनयःसेतःआसीरनरोमरषण पुर सूतं सरूखथच्छुः भरषयञचु ,. .: . || तखयासेतिहासपरणातिध्मशारूमाणिवयानियासःअन्येपुनयश्वरिडुःनानिसवाणिअधीतानिव्याख्यातानिच हैसोस्यतेषाभ्‌||| =. . ` ||[|इगरहात तसरं यतःस्मिग्यस्यशिष्यस्यगुरवमयुल्यमपिबूयुः अतः शस्थेपुसं तत्‌|| || ||सःवद्‌ यतःकलोजनाःअङसाःअस्यायुषः अस्य बुडयश्च श्रोतव्यानितु बहूनि , ˆ || | न्वर्‌ येमादयासं प्रसीदयि किंव रै सूत यद॑ग्न विष्णुः पसुरेयस्यर ||. ^. ||||भगृणन्सरः संसारान्‌ युच्यते यनास्स.भयसमपिबिभेमि ययारसंश्रयाः युनयःदशनादेवपुनंति गगोदकानितुसेबायुनति्‌| | . `. ||| वंभूतस्यकङिमंजापहयशःशदिकापःकोवानथणुयात्‌ किच शरद्यवनोनःललयाकलाःदधत्‌ः तस्यउदुराणि ्‌ , ||| मस्या यवनारकथाश्चबरूहि षयेतुउ्तसभ्योकस्यरिक्मेनविरृप्यामः यतुशृण्यतां रसज्ञानां परपदेस्वाद्‌ चं क्पटमारुषः१| || : ` ||| गवान्‌ शवः बररभेणसहयाभिदीर्योणिङूनवार्‌ तानिवद नयुकर्वव्य्ाणोङुतेःवणावसशःस्यादन आहुः धाता ˆ ||| खातङ्यात्‌ षष्णुपदेगेुकमाःरीपैसभमिषेणररः रथायोरव्थावसाशाःपयमरपविशाःस्पअसिन्सप्थैव हश .. ||| पहि इतिअभिनेदेति अरीदुस्तरेरुरिततशच्छतानः धाक्रालंरशितः यथापुसौ सयुद्तरणेनाबिकः तहत्‌ वित धर्ष . - . ` ||रेश्रीरुणेअधुनाखवसरूपंपासेसतिधमः कंपति शरणे गतः बूहि २३ इतिशरीभ्रडागवतदूणिकायाप्र ¦

दभाद्मरशनेसति भवति अतेःकषयःशुदावासफदेवेभक्तिङुर ति इदानी एवरेश्वरः स्थियायर्थदरिषिरिदिहरेतिसंज्ाः धते तेषीमध्येवा दवा, यं ` ` || शिष्येरशेयति यथााघात्‌धूमःपदनिखभावः तस्पात्‌ अनिःएवंपस.संका शात्‌ रजोगुणशष्ठःतस्मात्‌ सखयणः | ` ||| श्च अत्तलङणोषा्धीनिंभष्यमुतरोनरसुरय्‌ अतयुयुक्षवीयनयः भगवतं क्षमाय जग रज लापय ||||प्रजेप्सवःसंतःपितृभूपादीस्‌ रजति वासुदेव परावैदाारूदेबपरामा बासदेवपरयोगाबार दब ` . ||| षरलानेवासरेवपरंपपेः बासदेव परोध्ीवासरेवपगगनिः एवं भूतो भगवान्‌ आलभाययाइद विभवं अयेससजतः || ||पविषटसनूयणवानिवभामियरुषु भनिर्थथानथादरिःधूतेषुमानेव भाति स्यौ सादितेषु भूतेषु पधि सन्‌ षय || सएवभगवा्‌ रेवनियड.नरादिषुमेस्वस्यतासदतारःतषुभदुरकतःसन्‌ सखरणेन सो सन्‌ पारयति ४. इपिपथभ॥ . ||| तीयः . सूतउवाच ` संस्थञवतारकथाःशृणुत सएवभगवाम्‌ आरीषीरषश्पं महदरं कारपंचतन्पानैः धतम्‌ एर ||| रौगिवपचराभूतषोडशक्रंसोङभिसृक्षयाजगहे कोसौ भगवाद्‌ अंभसिशयानस्ययस्यना( पद्या दा ०६८ |||

---<--

` |||विष्यःअवयपैःसवरोङाःकस्पिनाःतत्‌ पगवनःविशुरं सपं सहख पीर ुजानने रडुतम्‌ सहस बु पणा सन सिरजञा| ||बर्याुनयःपश्येति एतदषनानावताराणं कारणम्‌ यस्यशंशोबद्मानस्यअशोमरीच्यादिःननभ्वादयः सल्येते सएव मगाः शटिरूयंसमारंसर्गभाश्रिय भह्मणो भूलाबह्छवयेबतंचयारसपथमः विनी यसारर वपुः भृलारसा तगत +~

आओ-५. अद्या रीनाम्‌

` "------ ऋ-न ~रः ~ (-0.0 1654 = ।<.5.28111181 | 10181181 ©0\611170611 0157161 | 10/81/ १281189). [14111260 0\/ ©©8110011 | -*-----^ ~> ~~ "अ ४4 364 कक

. || सीधडु्ारनाभे येर्देया ्षो भूवा पारमहंस्य रशंयत्‌

||| हीरतरान्‌ पृीयेनारदस्पदेवर्िलंगृहीलापचरवागमं तृषाम्‌ चतुरथेधप परायोयानरनारायणीभूखादुश्वरं तपश्च {६ पंचमेकपिलोभूलाभारदिनामोबराह्मणायसास्यशास्पपोवाच षेअभ्रिपल्याअनसूयाया दचानेयःसभ्यपरदहादार || ' . : ||| सेरिभ्यःभलरियारभिवाम्‌ सपप्रशशिषल्यौ आकहयंय्ोपूलारेवगणैःसहस्वाय सुवेयन्व॑तर पारितवान्‌ अष्मंआ-||| ` || | यैमास्यस्पंपृलाचाश्ुषमवतरेमहीमच्य नाविवैवश्वनं मसु भरोप्यअपात्‌ एकादशेक्मोभूलारवासराणायुदधिम ||| तोसतोमंदरारिपएषेदध शदशेषन्वेतरिसनआयुद पशितवान्‌ भयोदशे मोहनी सूपभूखाअसुगान्‌ षच ५२ धलारेवार्‌||| .. . ||||अमृतेअपाययत्‌ बतुरदशेदिही भूलानसैःरिरण्यफशिपुक्षमिषिदयाः पंचदशेवामनोभूतवाभिपादभूषियाज्राखदे|| || . ||| नबलिरविरयिलास्वंररायदरी षोडशेषरफगमो भूलापएरूपिशतिवारंनिःक्ष्ोमहीअर्रेत्‌ सपदशे पराशरन्‌ सयव ||| यायासो भूलाअर्पपज्ञाय्‌ पंसोर्लावेररोःशाखाःकतबार्‌ अशदशेदाशरथीरमोभूलासपुटनियहारीमिकम्रणिङ्‌ || : ` . ^ ||| तवान्‌ एकोन पिशेपिशेचदृष्णिषुरामरुष्णौ भूलापुवःभारं अहर्‌ एकि शेरली संपरतेदैयमोहनायदुदनामारकट || |||बभरिष्यति तरतःहापिशेकरे,अते ट्यु परायषुरजसुसस्फपिष्णु यशसःआह्मणानकस्किपविष्यति हैहिजाःहरैःऽ ` ||||याःअवतारम्यंथासरोवरान्‌सदसशक्षदपराहाःनिगेच्छंनि तथाफरषिमसुदेव मनुपु्रपजापतिपभूतयः हरेः अंशाः

||लाश्र्यः 1 अथेषोप्रयोजनपराह एतेस्व यरा पीडितंजगत्‌ भदति तराफखयंपि

` ||| अवतःरदयजन्मयःमायंयातःपेत्‌सदःससंयादियुचये एतन्‌ पगवनोस्संमायारुणेःमहदादिषिः अह्मणिअन्ञैःकस्पिन || = ~

@2-0.011185 31111 ।<.3.28111181 | {08181 [21511 1 10181\/ \/2/81881. [21011266 0 €6810011 क:

| = एषेरिगशरीरमपिजीयोपाथितयङव्यितमलि इमेस्धूरसृसलरपेज्ञनेनयदपरपिपिरेषव ||| इः ` ` || संमरोजीदहवमयति एष भगवतः जन्परमोणिकवयःवर्णयेनि सभगवान्‌ विभ्वं पविश्यविषयानुगरहनूजगवालनादि ||. =

ऊचुः ~ #व | = 9 >~ ~ [734 ८०८ =

श्रियः |, --------------=--<- ६७ 11 ८1

\ पर [| £ | कपर 1 | ^ क. | > ११५. 3 { | ++ + निरयो = बे ` = ~^ र, ५. (1 1 षं भज न्क ~ ~ १) ति --------- ~ ~ ~ ९9: 0.00८.111. = .78111181 (1018118) 60/61/1061 7811101 (1018)/ \/3181189- > 220-9/-(>29011 0111 ~~ _ यय 1 ऋरन् ~ „= „> निवि ` 0 प्श ¢

कवाुसिसर्ेपाणिनं ंश्वरसि अतेनयूरंयतैनसूरचष्ल नाद्वा, सयाक्वरुभ|| =

|

५) ` <-0.001685/ 9111 ॥९.3.281118॥ [10181180 @0\/611161 [15116 | 10/81\/ \/2/8/1851. 21411260 0 60810011 54, = ` ' = | "क = 1 = ` 4 #. 8. ` # ~ +^ {3 हि =: की > ~ जै नि कथ धः न्क 9 4..6 + - # ` + „5 ~ {4 ५२ ~ ४.५ ११ [= हः ~ + #।

, भ्रा | | गव्य शःअरुक्तपायतदेअसंनोषेकारणं अरं मन्य शचि यथायपरादयोऽथाभ्बणिताःथाभगवन्पहिपानणिकरविच हरे | ` ` ¢ ` | ||पतियहत्वःसगणीतनत्‌ वरचैायसंनर्थयन्येते प्तिश्ीरे अपशब्दयुक्तेपिषासःप्योगेभगयय शःअस्तिचेत्‌ सएववागििसर्गःत || `. ` ||||मेवसाधकःशृण्वंतिगायेनि गृणेतिच रिनेष्कम्येमपिन्तान भक्तिहीनं पेत्‌ अयर्थन गोपते ुतनःरेश्परेनअपिनेदुःखस्पंका- || सयंक्पंशोषेत अतहैमहाभागलंयथाथषीःअमितस्मात्‌ असखिलस्यवंधयुक्तयेभगवही ला रिस क्ये णस्पलाव्णीयं असय . || ह्रिविषिताप्‌ पथकर शपुसःमतिःकापिरिषयेस्थानेनरभेते यथावातेन आहतानीः तदत्‌ शिच भारवारिषुकाभ्येरूपणिर ` . | ||आसंक्तस्यपुसमथमोर्थनदेवसम्यकपौरिङ्थयत'तवमहान्‌ अन्यायम्यतः सरक्त धेडतिसन्वानोजन || |णेनिवारणनसन्यने विच क्षणःपुरषस्कं ५७ अहतिनपरत्तिख भाव गुणैः

१. २२ ` 9, (€-0.0411165/\511॥1 (<. 5.2811/18॥ (10181811 0५ { 2151161 | 10 \/ (1911260 2८88) 4 ¢ 9 {रि 1 | कष्या + ` ^ ` ~^ १५, का "र ^ „० यि ककन * = * ष्ठ ११. ^=:

2 1 1

शिबज्जखान्‌ सरोवरादीन्‌

रसेटयादनोपवनानि सिषयातुविकिभायीय

= बनि

भार नेमिम्‌ एवंष्यायतःमेडदिहरिः आविष तनःआनंदमः सन्‌ आलानं परंचनापश्यम्‌ नतःपरगवत दपं पश्य # |||सुसन्‌ सहसारथितोस्पि पुन पानीऽपिनापश्यम्‌ एवं बने यतेतमा आकाशवारआह अस्मिनजयनिमा इङ ||

|| तभ्कारैगरखुकालःपरारुर भूत्‌ ननोमरेहःअपतत्‌ कसयनिशिषयिषोःबह्मणःसध्यं तउ तेनसह्‌ अहं पाबिशय्‌ युनःकल्यारोर || | रंखड्भिच्छतःबह्यणःपणेभ्यःमरीव्यादयोखषयः अहदनतः सोहं शीहरेरसु यहात्‌ कविदपिअङदगतिःसयुदेबटताबीणा ` ||| वारयन्‌ हरिकथागायमानभअद्छांड चमामि एवंगायतःपः शनं याति ेषथिष। पुतरणेह| | ` |||रिभजनमेवपः दशःकिन्व हरिसेवथायथामनः शास्यति थायभादि रेन हैव्यासंः यु जूतड || वाचः . एवमाभाष्यवीणोरणयसूनाररीययो अहो अयंदेवषिःथन्यम्यतःवीणयाहःकीरविंगायन्‌ आतुरंजगवूशमयति “इ || ||तिपरथमेषश्ः६ शोनकडवास भारदैगतेसतिव्यासःकिमकरीत्‌ सतवा सरखलयाःपश्ियेनरेस्वेशम्यापासै आश्रमेवयासःआचम्योपंविष्ठःसन्‌मनः धयो तमःमनसिषथमं परुषंतन्यायाच अपश्यत्‌ ययामोहितोजीवःअन पाञ्ति || | वतःअधोक्षनेभक्तियोगेच अपश्यत्‌ एपत्‌ सरदेरखवा एवं अजानतःरोकस्यहिताय भागवतीं संहिता चकर यस्यविशूयमाणायं ` ||| छषोपरमपूरुषे भक्तिस्यद्यतेपुसःशोकपोहजग पहा एवंसंहितो रला शकं अध्यापयामास शोनक्डवाच _ हैसूतसः ||शक सर्वन्ोपेक्षकआद्यारमोपिदमो जहती संहितोकस्यहैतीः सुतडवाच -आह्मारमाअपिसुनसण्टुरीभक्तिङु

| ` | < ©0-0.20५1185\/ 911 ।<.5.721118॥1 | 10 00\/6111116171 [2181161 1081 2180859} ..01011260 0 &68000111 -

(1 | 0. | 1 ` 1॥ ` . “+ अति ४६ ५९ ९. पि + + + ०] ^ ~ १४५२१ १.08 1१ ` ५: ›ॐ 3 "भद 1 चौक {| दू. 1 भष ||| पोबध्यताय्‌ एवंरुष्णेनवोरिनोप्यनुनःरैणिहयुनेच्छत्‌ अथुखशििरेएयशेरैयदौपयेनंसेणिन्पषेदयत्‌ तदा पडत ||| - [7 क्री [ , ६॥ 8. - , 4 "9. "11

4

||| थाआनतेअग्वयामानेदश्वापणम्यएषःपुच्यता युव्यतामिति आह किंच यतम्दमाअस्यपिपुःसकाशादस््यामरशेकषित||| ,

|||तौरोरिमि तयास्य माताङूपीमारोदीत्‌ थैरालभिःभह्यङ्रंकोपितेतत्‌ तैषोसातुबंधरंददमि सूतऽाच ,. एव॑षष्यन्या|| || |्येचतस्याःवचःश्ुलाधमौदयःश्रारुष्णश्चतो पशशेसः ततमकुदोभीयआह अहौ अनेनव्य्थगारवधःरनःअनौःस्यवधए || ||

|| | वशचेयातिति भी मस्यगपयाश्चयचनेश्ुखाअजंनस्यसुखे आली स्य शरी रीर ९५९. ||

| |बह्मणोनहतव्यदतिमयैवकथितेतखतिपारय उतचस्वपतिजोमम पाँचास्याः पी ससनस्य्‌। भय यथात ५; 1०, ||| बाच अर्सुनपगवदभिपरायंज्ञालाअश्वथाम्मःसङे शं शिरोगतं मणिजहार ततोबईअश्वथा | |||रात्‌रिःसारितवान्‌ बपनेदविणायानंस्थानानियोपणं तथा आद्यणायपरानोअयभेवधःनदैदिदडपि तनपोडवाशपय-

||| सएवरोणःपजास्पेणासे स्यस्चीकपोभासे यतःबीरसुननत्‌यरेङरेपु्यदुःखयिषनार सि अपि यथाअहमृतवसा || `

, |सहशोकानोः संनःमुतवालानो ओध्ैदिकं चुः, उनिषथमेससमः० सूतउवाच्च अयतेपाडवारस्मिय रस्त ||| `` `

|| मृतानोडरकरानार्थरुष्णेनसहगेग जगुः ततःउदकंदलामिरापंब रलारसालाचप्थित्‌ कत इुगांारेपर पथा |मारिसहियुधिधिरेषऋषिभिः सहरूषणःकारस्यचगपि दशेयम्‌ सा यामास ततौ थिलायुधिधिरस्यश

|ज्येसंसाध्यतिभिरभ्वमेधेपेमराजयाजयिलावय शः शतमन्यरिषरिश्ुबिसतायपाड वान्‌ एषवाउडवसाखय।कयुतः णायन

|भिःूनितश्वशरीरूणाः हारकोगेतु रथमाशूरोह एतस्पिन्मवसरेधारतीउत्तर पातासत भा हैरषणरूणमोपाहि अर्थतसां

६1.

, ८-0-८0 ९.3.7011/18॥ | 10 30\/8111 { 21511 10 [\/ \/ ( [21611266 2\/ 6810011

॥ि ३.5 ` प्‌ ^4

यसंददशरः मोद्य अभ्नियाति सतुमोकमद्हस परंमेगभमापतपु . सतवा उवाचः `इतितस्यादानेषचःश्चलाइदं अपाव भूनरंकतं स्वोपरिआपततःपेचशरन्‌ भरष्य भस्पाणिभाददुः भक्तषसलः शरीरष्णेआश्वरन ततःजद्यास्िनियुकैःपोडबादिभिः रभावसरशरंभव्ययंयोगिनामपिदुेयंलीनमस्ये रष्णायवासु थाक्सेनरदारेवकालयासकूदिमोकिता वेथाअहन || || ` नशाश्वत्‌ |||

| तेनमःहैरूष्णला अनाटिति

1.81 1 | आहू भु १९२ हु

तिव नान रणायतीणकरमोणिव रेजत रति एव पूतस्यतचितयेशनगायंनिव

1 १४ || चाशदखधैयपा हमकपार मः सुद > ( खयबुजातूषिना गा पनाअच्यजा आश्रयोनास्ति ।स्व-अ॥ | 9 # [0 © => द्यः ष्‌ इरानी {1 [१ नि) 4 पिन्व - यरदालंभस्मार्बपश्यमि # < ४1 \ खुरदैः 7 # 1 9 अक्षिति ५१ ध, ¢ 2) कै “> - 4७४ # तै 4 4: [4 ५१ १५२ | ©{ 4 0. 11. 9 + 4: 9८ $ ` + 1) १५ 8ि 4 $ -

((-0.041165\/ 51111 |९.5.78111क | 10 2०५ { [2151161 | 10181 \/ [21411260 0\ 66810011

| पवेतोनाररोधोम्योयासः खहरण्वाभरशजःपर एरापःउसि ||करअनययकसयरिष्यःहीषयंदआगतभान्यपषर तप्याय पास वथधोयनाधयोःसयः _- |||षनलतमीपेभसोनान परय अपव आहत सी ` |||सूतनीयुष्पङनेबहन शात पासा भवताद्य ततस्र ण्ह सह

|

$

| --0.00185 ` 51111 ॥<.5.2811181 1 10181181 60४7 03116 | 1018 \/21811881. [21111260 0\/ 6810011 + ~

# ~ + वै

सोषिपत्‌ नसयादिददेवाधानेपनयेऽन|| 7रयोिडुःयंभतिलंमा

सेए £) ३१1} | <=] तथापिएकातिभकेषुत्‌ अच्युतेमनःस्याप्यवांचीतननामदतयन्‌ यभ्योगी || एबभी-|| . `

~ 1 "4 (१ ~ {{- ` र" १.द.७ + } = भां २, ( » पः मेगतिरस्त = : @. नवात. कःय तैर

८.

0

भा 8 7 कः ॥। #

9 ग्न | | ५.२

9

.. | ||इञउदसायकीचामरेजगरहतुःविपाःभशिषोददुःकिच करवस्पीणोपरस्परमालापाब भूः तैव यः ` ~ || [बयःददेमिसक्षतीमायां अनुसतवान्‌ कवि योगिनम्यसरअमरबुद्यापश्येनि कच यद्रजगतुखीलया सजति अवति अति ` ||| नतमसज्नपे चि यदादुशराजानः पदनि तदजगवेक्षेमाययशूपाणिधते सएवायंश्रीरुष्णःकिर अहो यदोपकुरधन्य मथु

= . |च यस्पात्‌रुष्णःस्वजन्यनागमनेनय पूजयति तच अरौहरकापिथन्या यतःयस्याप्रनाःस्मितावरोर पगवतपश्यति ||| `

1 अपिच चैयारीन्पमथ्यवीये शल्देन आनीताःरुश्मिण्यादयःस्मियः धन्याःयतभ्तासा गृहात्‌ मगवाचूनग च्छति एवग्दतीस््। |

स्यादिपियलाबाणपनयरंथन्‌ रामृदगकेयादयभेरुःपथापासारारूलाःकुरस्मियःधरुणोदुसमेःवदषुःतराभरौनः उतजय |

2494 | , ©60.00ा165/ 3 (८.5. का1181 [10181809 60611716 [2151161 | 10181 \/28185;. 01011120 0\/ 6068001

¢

सूतमागध्बेदिनः भगवञ्रितानिगा्यतस्य्‌

` ०९९ . ~र ऋऋ 3 = १.1 =“ § नर्न &१। च्छे ९० < ५1 ९,।ॐ एब तः वदै ॥॥ 4 + ४, हः नू | कनी) 7) 1 4 ।॥ 4 ~ ^ > कक्व्च्छः च्‌ त्न #। युत्‌ 9

सोकःविषयिणंफयतेयतोऽबुधः सिदत 1 नयु ज्यतेऽतियत्‌नभूराःस्मियःस्पेणमेनिरे अहकारघरसय कचज्ञ पुथामन्येषेतइत्‌ ३९ . 4. . | |ौच्ड हेसूतअन्वथाम्तासुक्तेनव्रह्मास्वेणयीडितःउतरायाःगभःसगवतारुष्णेन जीत तस्यषशषितःजन्धकस गेनम्‌ हस्प्परगहेयानंयनेसीषितभरकेनि+ = `

(«-0.001168)/ 31111 |९.3.78/1181 | 10 (30५, 1 [0151161 | 1081 \(8/8/185]. 1411260 0\/ 6810011

चूसुधिषिरपितृदत पजाःपाउयामास नस्यमुङुदमनसःसंपद्‌ः

| तिथनामि तथायस्वशकसानंयथा अदत्‌ वसर्ैभरोतुभिच्छापि

||| शसा कठेःमिय॒हीना

कन ५, ° = # [9 पि 1 + >~" चः ` ५। #ि 1

भातरः १०

#

यत्व

# ^ - ©0-0.0041168/ 51111 ।<.5.78/1/181 | 1018180 ©0४८७अा77नं 0151161 | 1018४ \/2/81851. [10111260 0\/ 6809011

4 कि नि गी णी | कै

|| युःकाकयतःपेत्‌ङ्ञालाबिदुरुधृतराषभभाषत हेपतरष्गहात्‌ शघमिर्गम्यतो अयं व. # ¢ ||पिक्रियाभरियः्रणेरपिनयनकारेनअयंजनःपाणादिभिियुज्यते तपित षादृसडलुषाः हायश्वापिगतरहश अस्य

इस्पि भगवःतंभभि|| ` . भयव ॥|

`“ . ||| तरह हैरानर्‌ शकंमाङ्रः यत्दनगन्‌ कारापीनेइमेरोसाः वाकं यावः संतः रुरायविवहति ||| ईषान यथाकासेपसकरणोवोगसयेगीसतीरचछयाभवतनदत नीच्या वमिभ

प: नि 4... 1} रः ~ + 1 < # + नि, , १.9 + 4 - (द्‌ (य नि | ( न्‌ ह. (> 2 ४, + च्‌ ‰, | धि) ] ^ * ~ री | ] नती 8 ] ~> ~ 7 = > 1 भम ¬ "4 | + ` , -0.001165 9110 <.5.7811/18॥ [10181811 0४776 0191101 1 10181\/ \/218/1881. 10111260 0/ 6681001 _ = ` = 4 अ= १1. = कै ` "न + 1 ड" ~= 1

+" 9 नि) न्क वे ।॥ = नी +) ) भि ^? ५५। + {॥ , प्छ > % 4 # +, 69 वब 13 9 ^ (५ वी १. 1 ि) दु [4 के भ्रा | ~ = ~ की 3. +^ ] ॥,1 'प्ः # 1 # १0 [1 ह~ हः ४: = 8 4 # 9 ॥, |

|| जाशबरुबिजयश्वएतेऽस्पारं आसन्‌ संपमवाय्‌ स्वस्थान किम्‌ हेभीमरियान्‌ भोमानरदिरोश्डभयसूदकाच्‌ उखाताच्‌ ||| पश्य तैचममवामो्वकषिबाहःस्फुरपि दिप

4 (0. १] ^ || ^ # = = रु $ <# ) ` 00.८०.८२ अपा 3.एतम (ण गाना ©रतिला। फत्‌ 1 6/४ [01912९0 62001 111 ६० 10 4 ~. ¢+ ` - 5५ . \ 0 [4 - 9 १२ ४. = र, ॥., + . $" ^ # चै 4 > भुन ६२१ १२। १1 4 =. { कं >. + ¢ + *

11... 11 $. |

||पिसस्युःससेवपित्पसुषस्यमेऽपराधंेर मनपरुषोसमे ||| सोहेरथीतरेवधरुमएवशरःसएवरथःतएवरयाः एवस

+ ३.२ ¦ + 6-0.6001165)/ 5111 ।<.5.2811/1811 10181181 ७0 2111 [2151101 | 10181 \/ . 1011260 0 8810401 | 0 ~य ~ 9 | 4 दु | अन, (9 ~ (= "^ =

+ तःटिमिजयेनूपलिगथरेगोभिशनपदाधरनेररिमिगृहीतबान्‌ शीनङृडवाच दैसूतपराक्षनूरुस्हनोःकरिनिनयाहयः|||| ङः ` . ` . १६ || परागोअहनत्‌ सम्कमृदरःइररूष्णकथाश्रयमृसि चेत्‌ तरि स्थय यैःथाआयुःनश्यतिअस्पाकंसन ||| = ` ` |||पयललोपिहरिकुयाश्ररणाथएय अस्पिनूसमेप्रयुःआहतःअनमसत्रसमापिषयतंकोपिजनःनध्ियत अनेनश्रगवक्था || _ ; : ||||अरवणावका शसूमितिः अरोहरिरुथापानं विना अस्यभस्पायुषःजनस्य आयुःरामीनिरया दिवा क्मभिःन श्यति ; ` . |||तदरिकिथोङ्थय . सूतउवाच यदास्वदेशेकरिषविष्ठसशराय पदारथ भास्थायधुशरलासेनयादतःपर क्षित्‌ || ` ` ||रिप्विजियार्थपुराप्‌ निगतिसम्‌ भद्रपमेतुमारं भारतं वषंरसरार्‌ युङश्चरिजियकरंजगुरे तसतयजनैगीौ यानंशखपवेषा `, ||| यशःअश्वथाम्मोऽरूगतःस्वरक्षणंरणणिपा्थानोके शपेभशषित्शरुवासंते-सनतेष्यन्थनानियासािहारध्वदय किदपाड|| ` . -[वेषुशरुष्णस्यसारथ्यारिरूपाणि शृण्वन्‌ भिष्णीश्वरणारविदेभर्भिरूनवार्‌ तदाएव रमेमानस्यराजञसतःयहृत्तातु |||. ` ||| एतस्िनूरारेएकेतपराचरन्‌ इषस्पथरः धम गोरा पृ श्वीरुदतीआरक्षय उवाच दैषदेपेअनामयरबित्‌ यतःम्ानवद्‌ || . |||नाअसिअनोभवतीअंतरा धिआरक्षये कित्व पदन्यूनं एकपारेमातथाभूयः भोश्यमाणा आदान वा शोचि |

५९|| असुर द्तयज्ञ भागावृदेवारं शोरमि रवि १तभिःअडष्यपाणाःस्वियः पितृभिररक्ष्यमाणानूबाज सुरः ||| देस्थितासरस्वती गकदि धून वाजारक्मौदयधभमिरतेजीवणोङंवा पूभारमा शाथ छतायतारस्यहू षर ||नतेःवाशोचसिकषिमू हैवसुधरेयनलकशता'भनकारणङुथय . भर्युवाच्‌ ₹थर यपा (तत्‌ `, ९५०१ ||| | स्याश्रयेणलंचतुष्यार्‌ आसीःयस्पिन्‌ भगवति सयं शोेदयाक्षानिस्यागः संनोषजेवम्‌ शमोदमस्तपःसाम्यनितेक्ाप्‌ ||

0-0.20165\ 3111 ।<.5.781118 | 10/8/1817 धा 0181161 [10781 ४/व 81185. 01011760 0\/ ९७870नीं ^ > > कक = ^ 4 ~ =

@ व्र ~ | > कके > ^ वितत ¬

. £ निवासेनरहितेपाप्मनाफसिनाअययोकितेचरोके शोचामि तथा आत्मानं भवेपेपिवनरसीनरेवान्‌ साधून बणोप्‌

2 1

सनित |

शोचामि कियस्याःपसादंबह्यार्योवा्छंनि सार्वः सगृहं कमसयनंहिखायसाद पदे भजनेतस्य भगेवत्‌श्रामसदेभ्रि || हितोअतएवगवितामाय॑भ्यक्तवान्‌ श्वि यःयटुषुअतीयपू परारंजहार एवं मूतस्यमगयनःविरहंकवासरेत एवे पराचीस रस्वतीलीरि पृथ्वीपयोःकथयनीः 1 ३९ ` ६५ सूतउबा त्रसं रखद्यागजापरीक्षित्‌ द्डहस्तसृपपि हु धरमूद्रतथापयात्‌ सू्यतंन्बेतं एकपाद श्रूदताडित चषनथाभूटपदाहतो साशरुषद्‌ ||नोरृणभिच्छतीगाचरास्वयरथारूटःभूतकाुकभ्सन्‌ गं भीरबाचापपच्छ अस्मिम्‌ मच्छरणेलोकेवला तृदीनानूरंभि एवं | 1 कर्मणाभूदरःवंकोऽभिरि्वि अर्जुनेन सर्रीरूणो अंतहितेसति निर पराधानुरहसि प्रह्रभि अतस्तंवधम || , ||ह (१ पनतः षं प्याह हैरषभ्वेतं वणं पारैन्यूनः सं रोऽसि फथ्िरैषःस एृषसूपेण अस्यान्‌ सेरयन्‌ वर्तसेकिम्‌ ईच पांडवर|| ||||क्षितेभरूतसेतेअभ्रूणिषिनारतरेषा पाणिनामश्रूणिनासुपतंति लमपि शोर पङुरु अस्परापृशूद्ात्‌ ते पयमपयतुगपरयाहः . || |दैवसखंखानोमयि शस्तरिसतिलंमारोदाः ङ्त अदोथस्यरन्येद्शेःपजाःनस्यते तस्यराक्तःकयायुमोग्यपरलोकान || ` श्यति ङि रीनानादुःखहरणमेवरजापरोधर्मःअतपएनंभूरेवधिष्यामि हदषव फदाय्‌ र.भरण्वत्‌पंभस्पकीपिनाशङ्‌ || , ` यि

चसादुमणगोटमत वपि ुरनमनौमयतमादिायदै || ` `

` || ||तरिंवद्‌ किंच निरपराधभूतेषुअपराधक्वतुःदेषस्यापि ||| : धर्यउवात्रः एतदपोडेयानोयुक्तमानभयपः।

- (1 ज, ^ 3 ^ 9 "3 भ्‌ 1 # ४? = 8 - 1 0 ^) ि , 1 + * न) { 4 [1 % ५५. +भ ०) °. = न~, + + > +" + क. ` नि नि : "~ > 24 र, # न, + {१४ + ( न्क ) >^ कि कर ~ #॥ 8 ऋ. + णे ` 1. ~ =; | 1.5) न. 4 1111 1 - ~ 91 न» 2 * ^~ 4 > ~ (र ~+ प्व. "च - 7) १४9 १) - ननन (~

, ४, £6-0.60५1185 3911<.8.28111087 1 91 वाव) 0५७7 लं 1101814 \/31811891 0101260 0/ 60680001 = ` ;

भाप मसावादिभिःषयबिमोहिताः अतहैगजव्‌ खंसवबुद्ाटुःसखरानारेविचास्य एवंरकैसतिगनमोहुःसन्‌निश्रियउवाच | § १९ जोषाच खंदषरूषीधमेासि यतःखंघानरजानन्नपिनसूचयरेवरूपंयमंबयीषि सजने रोप ` . |||पिषवतिअथवाभगवन्परायायाः्गनिरगोचरा अतनोक्तवान्‌ रिति तपःशोचंरयासलयंरतिवलारतवपादास्तचध्येभयमीशः || ` - ` ` . |||स्पयसेगमरेःअयोभगनाइगनीसयरूपःएरःएवरवैरितःतमपिअधमःक रिष िच्छति विच इयंउरुभराकता भगवतः ताचभूःमोमूदाभो श्येती निरतो शचि इनिधर्ममहीच सां खथिलाकणिह परात्‌ सड आदरे एवाह शंपरीकिर्तदछायूप विनहमिहायरलि.तञ्रणयोःपतितः पनःतेतथाविषं रघादयालुः सजाने अवधीत्‌ आह्व रजौक्च हैक्येक्दाजरे||| . ||तीःतवमत्तभयंनासि परंवयामहेशैेनवतितययम्‌ यतःखंअयमेवंधुरभि तदेबाह तिसनित

35 तन्ना ८२11

` , ||रकःकरिःन्यवसत्‌अतरेषलभि्छःपुरुषभ्त्ा पभोषत जाए देत गतःसःवहा धनं ||स पाराशर सराजाधमणटतंसिंहासनेआभिखअयुनागजाद्दयेवषः

ककर

| त्‌ 1. [ ~~ | + | ^ ५१५ =

` ` 2-0.04165 ऽ1111 ९.5.818 10 (0५ 1 [2151161 | 10181 \/ [1011260 0४ 63810011 3.

$. ||मेसपदशः१०. सूतउवाद युरधित्‌

भा तगृगान असुगतःसन्‌ शरंतःुधितःरषितःरं अपश्यद्‌ अस्याशरपर वेश |च

` " १५ ||| शमीकसुनिरष्लाउदं अयाचत ततःभगाषसकारःरानाआासानं अवज्ञागभिवमसामसरयुनम्सनु कोपन गजाम ||| , ., पेःसरंषयूनसपैषरुष्कोल्यानिधायपुरंयये यतभ्भस्यचसेःसमाधिःसयःपिश्यावाइतिभिजासयासपस्थापितःनतनस्यषु ||| . ` ||| बभ्यगीनामबासकैःसहकीइन्‌ सन्‌रा्ोऽपराधंशुलाबासक्मध्यैसद भयवीत्‌ अहोरज्ञोभयैःअयम्‌ कादनामिष चि |||

कित अद्यकोपोथितोभनिःयेसपुरगज्यारिकंदहतुरथिंतयं

| | ने अथरूष्णापिसेवोअधिकंगन्यमासःगजाभ्गयञ्रणनिरातायागगायोप्रायोपवे शकत वाच्‌ तचसुक्तसमस्वसंगः दाधिरष्योएतस्विनेते तदशनाथसशिष्याःयुनयःपापापतेचअभ्रिःवमिषभव्यवनःशरदान्‌ अरिषनेपिभृयुःअंगिराः||| ` पराशरः विश्वाभिच्ःपरशरमःउतथ्यः इदपमद्‌ःरथ्पवाहमेधानिधिःदेवरः आषशटिषेणःभारहजणीतपःपियलाद्ये||

मेयःओरैःकवषःअगल्तिःष्यासःनारटःअन्येचरजषिदेवर्षिबह्षयुःएनानसवोय्‌ भभ्यच्यैराजाषदरे सतफसौ पवि |||. `

= 7 (| = प] >= ११ तिथ ^ ~व 3 वि ( †$; 5६4 . [1 4 (८ ये ~ .१ १.५ * कः # ५५ = ४: [9 ४. 3 2 ; (0 ©0-0.0001169/ 91111 1८.8.18 10181197) 60५ 1 जालं [0७४ ५/ 1 4

9 8.०2 + २. न्क | ~ ५; 2 9 + 7 [ऋ ०. (1 +न

भाप प्रय पाणेश्वयस्छमेतरिचारयत कमेषु यागयोगनपोदानादिभिविवरपानैषुसर्फ यदच्छया गं पयरयूस्नीवाेरतःअ १६. ||| वधूतवैषःनिजराभवुषटव्यासंपु्रःततरषासः तंषोडश वरपसङुमार पादायषयवंचारनेमेऽसतनासंतृल्यक्णसः्वा कंबुरेनिगूदजयु पृथुवक्षसंदिगंबरं वकरपिकीणे$शं परंबवाईस्वमरो्तमाभं ्यार्भर ` ˆ. |||णन्ञायुनयःआसनेभ्यःपरयुचिताःततप्प्रीक्षिन्‌ आगतायतस्यै शिरसासपयोमाजहार सुः ` (||तःसन्‌ पहासनेरपविवेश सदेवर्षिराजर्षिबह्यिसंपेः सं रतः चदददव्यरोचत ततस्पशिन्‌ आसान तसू लनिरिस|| `

` . ||||तयागिर भन्वप्च्छत्‌ अरो वयं ्षमबेधवःपवरिःकृपयायोग्याःछृताःयेषोवःस्मरणाच्‌एसागृहाःसयः रः श्या ` . |||रशनारिभिःशखतीनियक्तव्यम्‌ योगिन्‌ तेसानिषथ्यात्‌ युंसोमहापापन्यपिसघःनश्यति विष्णसानिष्याद्‌ वा|| = ` . ||| यथा पांडवानोभियःरूष्णःतयोरयथेन हयस्य पतिःखसु अन्यथामियमाणानानः दान ङुथस्याव्‌ अतच || || शरुलोषृच्छपि इहध्रियमाणस्ययर्थयच्छोतव्यंजाय्यस्प्व्यभजनीयंब्‌ (क || || हाश्रमिणोगृहेषुगोरोहनसरुसपिनर ष्यते सूतउवाच - रत्ाएवे एषम मगायू रूपया || ` (1) धेचू्िंकायोर्कोनविंशोऽध्यायः१९ ५, अयस्कभःसमात | || ` || शष भवतु ` ।॥४। , ५8 ` पसा ` वभा ` चथ ` ॥॥ ॥७।॥ ॥९७॥ _ | |||, भ-ष्अग्रोतग्र्िः ` ` .: ` =

¢ $ | - ते षौ = ¦ > ~ ९.१ |, वः 1 "^€-0.01165# 911 ॥९.5.281181 [10181181 (30611161 [2151161 [10181 21818591. [1411260 0\/ 68104011 ०.४ [क 1 ~ ~ १,८.४१ (१ | ^ . कि ककं

* * + # # "~ न~ =-= ^ च| के [१ चक कर कृ कोकाः ग्र नि 1 ॥॥ 1 वि क, भक नि | „> (2 ~ - "=" वू