(८१ १९१]
01101...
५७ } 4. $~ ~ ~~~) ~~~ ~ किक ििणिकििकिककि कय क क र कु ~ => 0-0-43 क क 4. ७ नीयााायकयायििकियिकष्कि म कयाय म [) $ [कि ४ & 4 क ---- -- - 9 ---- । क 4 | ११ ~ ^ ध | नणयय न्ययन चष्~-- ~ = 8 ६ ९५ ~^ ?% -.^ 64; ) 1 \ ‡ प छ ~ र पः क सज । ९२२ ९ १.५५ 2) र 011" ९ ९ ( ५ ^ ध १२.८५ "वक न्क क 0 = ध १ (--* + क 4 | ५ भ् + प ब्द ।/ अम + 3 ^~ # ९ २ (+; &, 1. ‰ >. म =) ८ १. 1 ^ [1 न ५ ९ । न ॥ ॥ ९ ९८५१८ ६. = [+ २ ्द,,०५४ [4 । ९ र्ट ॥ ६ ॥ { ६३ १२५ ^ % ५7 १,१५.३1८. ८ 9 1 ९, ०118 0 क 1/4 1999 ५४) 69.) ८: ५9५९ "48 ^ 26 9 ) ९10: (1 ह 4 ॥ = ^. | च> र, 1 (८ 98 नि ९ पे | (प 1 (> 1 = ५ 4 ~ 4 ष्ये , ह चौ पिकः प (ऋ & द, (+ क] च । 11 (॥. (र (4. भ्भूध्टः ४ && (~ > ? > प, "~ < > ५ [ „44, | 0 (> [५ & .{ € (^ *, [६ 1 € {~1-14 ¢@ 1© (0. नै ( (4 » ९ 1 | । १) (> | { न ० अ (रिः ५ "क 4 क । १ ॥ 6 [0 १ +` क, (अ छ [4 8० १. च - ड [र 6 र [भ ¢. ~ ४ (ॐ & ८ १ *& १ छक $ भद ४1 | । फन ॥ ४ | ६१५ चरी द 1 नो ॥] १ क्- + १ + (- भः | | । | 1 ¶ १। | ग ॥ ४ ४ ५\। | 1 [9 प 4 (५1 | | ४१४१। | | १११२ ॥ १" श १ (4, | $ "च (4 ^} १ 1 1 (है { © (>, 2.5 ऋ + कि + = १११ (= =: 4० (7, १ 7 \ ३, ३ ४, | 1 = +> १११ 1} त १1/70 # ^ ४१ ¢ १ 0 न्क । (ध ॥ { (क १५ इ => (न # € ५ 1] 1. 1 # [५ 1 ५ ॥ +` 9 (6 6 १ = १. + आ 7} ९ 9१, 7 # ९१; † १५). १०१६ ४ 1# ५१ ' + # 8 {१३.१९ {73 ि ४4 १ ‰1 9 ॥/ & ॐ + += 4 न> "द १५ 9 5 ५ ~ ५ ^ ; 1) ॥ , भ 4। ॥ च ११ च # च ८. त # 9 १,१. द+म कु 5 | ' ¢ ^ "# } 8१," न # 1 >. १? ए #; * न ष = क ये । ' री ~ य ॥ 4 र चः ॥ 1 च [| # ¢ ' त ५; ण्ड द, - | वि ५ +114. त. १ ४१ ॥ = च डे ८७ 4 # १६ ५६ | ¶ [0.4 (1 [+ 1 म, १ ॥}- क # ^^ ३ क 14 ४ ५०३ > क ४ 4 ८१ 7 < । ९ .4 1 ; ् + #1 ५ व [1 ‰ र, १६ ¢ पू] =| # ~ ^. १ ५६ ६.१ ई. (6 २ ३ ३. ९,१.५५) = च ४: = ६1 4 र केः ७ ५ 3.) ८. | नि, क ) 1 11८1 त - (2 ७ न स क, ष एद-4 ६4.45 | || ॥ < ८ ८ = ठ | (> ~ च {6 । न नि + कर 4 ०४४ च | 1 [ ॥ भ 1५. भ~ +. 3 ८:२८ ~ ~ स = ~ भ्म 2 = 1 - र १ 1 | (+ र, ५ द म | 1 ` ६ 5 (~ 5 4 र्थः +<. ८4 छ ५ व, + च | ल ~ 1 ~ ~~ | | । 1 6 ट #॥ चं ०० १७० ९ | पै म „1 "७ च य ॥] ^" ॥ | ( । > च च य ध) + # * भिनति {4 {गनि # ^ ५ # नै ट 1 # १ || | ८-11-0 ८ न 2 ८2 ६ 2 ~~~ £ 321 ॥। ध ॥ । नि # च 2 । ( च ० = # 4 8। ९ क. | क ० 1 (नि == =. „ जक न्न ॥ ] धि । | रै @ | ष षै 1 + „# र 3019 1 क ् ॥ र 2 क ।-) 7 "7 >, ++ २१ पः ==», ॥ । च, ५ => = ^ == "= ` १1 | ॥ त) = (१ ४, क कः ऋ । ० >= „६ ण्न 9 चज = न 1.1, ०४६ | § = | #। ज (3 ~~ ` ग्नी 4 | धः ५६६ 4 4८ ५ (नव 9 ४] ५ चै 9. & ° ४ = ----- ८ ~ ~ --- ग्ल ~ ~ ------ ज.क जौतकन्क त --------~- [२ = ~ = ---- कि (ब न --- ७०० र न्न --------=----~ [त छ िष्छोकिकेककनि =| अग ग ङ्ा"कण्काष्किक ५९ (ल 1 + | क न = 11 ॥ ई & 1 । न ५ ~ र ~ यो ~ - ~~~ त म कन ९ भ्न | श क 4 ठ 4 क ५ क ५ = क {५ ४) "ध छ " ५ # # च | || ॥ +. (> ॥॥ - ^ (सच ४ 04, ् ४ | ( || ॥ ~+ ०५.८५ ५1॥। मः । + | { च नू > 9, ५४१ १ 1 (6 १८३ - षै ° नि १ ५
ऋचि चि
। | 4 । = ।|' (६९|| य न ~--९। ५ 1 ॥ ^. = ४ (9 ॥ * ५ 7 ¢, २१
||: || 1:< > अथश्ीमदहापवत प्रथं पस्य व्रा
' | 1 +$ ५ ~ च ई ।। ॥ $ | ५ ष १ © "१ व ५ भ । दे <? >> ॥ 9 ॥ ६11 + 9 -
| । 321. ~ - | & "9 > | ५८ ११ > +, १. „ 25 >>, 58 3 3 + ०, "१५: ति ॥. ८4५८ | ९१.1९.20 ८८८ -=~---~---------
{ र र 1
भ
व ५ ० ००9 # ~ ---- „ - नी को 4 प 4 ष. \ 8 ह द क) च (१ ~ ॐ 1 27 = च ~ श! [१ + चनः की पि मषा भ के य ~त 1 (नी ववुः 1 1 + ५०. ~ 4 | न > ^^ {= ------ =-= ~ # थ एनान न्न क ">
¢ । - 4: | ह 7? , 50 (१५ 1 2 ८ 4 9 ~~~ य ~ < - <~ "~ ८5 [^ +| ॥ (~ (५४ भन पय = छ > =
[न ४। | 1 4 “^ ¶ रै
०
[॥ १४.
. (६0 + ( [+ २. ५५१. ६ अट, भ % ष्क, - ४ श्र ¢ [च ५ ५ क | । { मे 2 ग 2८1 2 छ {02 2/6 4 {24 ५9 (# 14 ट 9 र न ॥ | 1. गन्ति | = | क । (1 ^। | < ४९. १1 ५ 1 न] ' ॥ ` 1 7 भ ५} | थ 2 [४ थ) 3 (0 „8 र 7 5 55 गे ष 4; मेत ॥ # 118 8) 429 = ¦ अ ‹ ------~- ~ ~ ग 9 | ~~ ------ ~ --- । == ५ = = # ‰, शक = ग ॥ ~ 1 -वदु-- ~ -- १0. (0 प कविः च न द ० १५४ ६१ कन (द ¶ २ र च+ वि ॐ | ४५ # । र १ | न कि के ८ ॥ | ६ । मैत [ब 1 नयी ह + क " त {+ 1 मै ण ४, क ~ (1 + 12 ० च = पक % व ५ ४ क, यि । र ३५ ६ 1 न न क्रे ७ 9 ~ क ध १॥ $ ९००२३ 4 १ भ्न स+ 0 ई) १ 4 ५ ड च ४ 1] ^ ४ ++ » न ध, ब ४ ५, ॥ *-प न ॥ =+ + ४ "द ११ +~ न् "द (क कि 4 म र $ ~ के 91 01 # १.7 = = +, ,4 6 10 \ ५ ५, +र ४. 4 (1 ॥ १) | ¢, (९ प च ५ + १ 4 (9 ४ १९1 (र्ट .( ॐ 2.५ ‰& (+ ८, न 14111114 (1414010. 9 (116 ५4 ५1.९14 ५11९9 9 इः # , ¢ 4 ९ + १147101 (1 4101 भ १*५/५ ५ ८ (> 1 | #^ की ति 1/1 [4६१ ॥ | "१ +°) द" ६.) रो 91 सैन ५ ६ २ क ¢ १ "भ्र १ = 6 च 2 { © १ 0 ५१.01 91011 || | , © | 2 | ९ त 4 ६.५ = 1 ॥ र ५.५४ फ 14 1. 9 ) ९.1 > । 4 1०1 र भ ; 42 र< <^ 1 जभ | / 21 ९7. ५ ६) 1 4 १. ५ @ १.५, ^, | “+ + ९ <) १९, 0 त, 1 | 0 ग ८ 9 1 © 2 {५ ५ ५१९८-1 ५ "५ मेः [४५ «६८ १ १ दभ 4 । = क .८4; नि ~ + १-8-2१ > ® = ११६ & 0१ द ५ गुर [द ^ 2 7 €+ ॥ ५25 | 7011 १, +¬ £, 9 + ६7८ ^ १76 1. (= ५१ | + 9 ^ & 1 ॥ पि) , ॥ र प च ^ ८ | । वि (21. "क | 4; र ,८0\ (+; ॥ , ^ (> [¢ १ ५ 0.18 ~. १ (¬^, ५ 4 ^ 1 ^ १" १11 / 1 10८ 2 | ११९१० ८१५६१ 1,20.8 ९ [9 (-{१4५ न, चु \ ५२ प. ५.१4 २५ () २१५. \ १. ४९४ | < 19 4141 ध ५.) 1/१ { 00 11 4/4 (11. ˆ « ~“ ~ 4 [1 (१ (4 [44 + (१ 4१. १ ६,५५१ ¢ , १५ ५ (2 ॥ + #:\ क 4 # ~न # । - ४, + * | ~ (स 4 क : 1 {थ्व्य ग 1 | स ॥ छ १ र | - ॥ जााभककाचयकयोकदन्ययपक्कानोकज कि अ १२ -------~ वेक त 9 & प यनि भिनी यि म / र १ ध. + 4 थ 7 र्त पः द ए 2 ; न | 4 ०4) ।- ४ ॥ ५५ ^, ३ य ट | श इष्टम् ५५} १९ 91 41 [स 0 ८ (६ 0५ 9८४) १६ श 00 ५ ; रः ¶ । ^ । । 2; 01८14 १५.५१.५ १५५९. ^; ? कः प 4 ८ ७५५ | टी७भ् | ~. (4 , "५ ५० ८ ^५९६ १ ५.9. +) (“1 4 ना 9 ४," 6. # ॐ ¢ $ च ४ ३ ऋ 4 $ । + ४.
9 0011165 3॥11 ।<.5.28/1118 | 1081181 ©0\/6111111617 [2181116 1081 8121851. 21011260 0 81001 ` ~ ~ ह
= हौ क > 5 केक, कय , नि = . 0 # क का = नि | {~+ ,-+ += कच 7 श
1
^ ~ 4 । । । \ ९६ व । | ध ¢ # ष ४ | ¶ । " ५ +, + # मः | च | । > . प ' १ च त प १ प ‰ [न सत ५ [|] ् # + { ~4 0.2, | १, 2 | - 9 (त
६ - (8 शयथ व सद
क 1 1 | [न । = ध ( ॥ 11१. ॥ 1 ; 1 = ९५ \\
९ |
11
वकः
॥ + 1 ॥। ष . (1 # च्चै [ म ॥ अद्धर ¢ ॥ 4 र १/6 ५ (4 ४ [> १९ | ५ \ # {द . ८ | \¶, | [९ ५ ए 11/11. ल ५ >| 3 | ध छ | # 8 द) १ पस ह र ~ # 1 (44 ~ ॥ ॥ ५ ‡ = ˆ - प 4 > ५ ॥ ५ ~ ४ ५ 2 ् | = [च पथ, 4 ४ ४ ‰& ++ ---~- ^ 47 ८ ४ ५ >> ह 1 11 / ; 9 ध ५ (९ ~ छ ५ ॥( ॥ | ६4 [४ ॥ १ श) ८ ॥ {ॐ ि 4 ५ ~^ । ८ (^ > # ५. म ५ ८ य ] | ^ ष" # @ (--ॐ ल ॥ ५ पः 1 ~ ॥ १ न १ नद ९९ १, ५५“, [४ द. ध 4 /॥ -“~ ५ भ - 0 // ; 1 2 ॥ # » ॥ स (२.९ | भ यो 1 प
} + ३ ४ ९ > [| , - <--- <
गदि 9 भ्न (१९१ ११ 1०५. <-> न्ख # । अड 9 केकि ~ ध १). ~, < -
=" [+य ००५, कि भ * ४ १ 39 == ०. 1 "विदि, ॥ (2 29 ह ४ = (ग ~“ > (ए र .*॥ द # ; ॥ > #ि = क (9 + ह = " = 1 (१५ द च र १, णि " +~ (| ष >~, ॥ £ र {> ~ ~~
' ऋ
9
५८ ध सि र} पकर
॥
५0 1 ५ १ ४ ५५ #९ अ
विण
क
४ ५१४ ~ ५६. अक == रि ऋ । 2 ~ चे न ~^ १ = कं + ६८
=
1 ~
५. व
|
हि
॥
| च
4
|
|=
1
ह
1
॥ 8 = [|
॥
¢
`
{ .॥
॥
॥
|,
४ ऋ „ > णः "व ) जे ॥
हु
क उ ^ - क ग
| \ - च < ४
[1 [ए
4 १ ५ ५ क (0 # र ५, ष ॥ ४ 1; । ध् च भ [क , भै रे के 1 1 ॥ १११६ ४ ५ ॥। ५ प = ~ ४ | | १ 4 ५ -- > किनि = योयो को + ॥ 1 । } ध ४
(८)
=| दै
॥ + ॐ च ~~, पै + अयु घ = ऊर ष
# ।# ( ॥ धर् ॥
किप (५५ब ज
(+) 4 ४ ¢ क = ~ ॥ ^ क [ १/९) - 4 भि नन ^~ ॥ | ५ 4 अ र) ॥ ६ च र 0 ६ क्ष = 4; १] ४९ ६ ५८९ । । ्
= 2/(३ । . | 9 1. > ४ [14 (८ =< क श्न १ 6 ~ » न य > ८.८ र
+) 4 + ॥ २१
त ज ऋ-न प दि श् कन -क+ अ ज-वा" - अकः कोछ-> स-व याः ) उ 7
4 >
द्रे | (> | ॥ | ॥ | |: + | (9 | ॥ 4/ # २५ | ॥ ( (म ~ क 9 ॥ ४
~ =
"~
1 €) - -- ते | ङे ॥ ~ # ५. ( प ^ ५ थ् #) ॥ / १ 0. कनः 41. क ॥ पि + = ९ कि । 0 छ ---- त कऋ-१) | १०१. ८: ) < ~ ~}: १८ ज † ४५१ "६८ च, ५०५ द््ट + =>, [ "कशन् ५ ५, | 7 त १ \{ #, , द ,११.१॥, +^; = 9 = 1 मि । चलित = - = क ४१ ५ + | २ | \ | 17 | | | ॥ ६९ + | ॥ ॥ | | | र ॥ १) 1 | # = = 1 4 | कै | ्ी < | #. भ | | | 41] (५ ४1 १ | ॥# +^ | ५,५4.१. ४) 4. ५) (~ ५५ | १५१4५ ।५।०१..५ ~ ३ ॥ | ॥ | ( ^ 0
> वेणकानये
धै
१
| नी [ख 1 नवि
1 नरि 2 3 > 12111111
^; सयते भतो 1 इषः ० व -५।
2
¶ ॥` # ; < # + । | # ५ | ६ | प ॥ प । ~ 1 4 भ "गद क ६ अ 0 9१6. 1 ५५१) २ ~, 2 1.4५ 1 ^ 1 11 1 11
[ हि ० ` ॥ / > 1 | पि 111 1 11, 108, ) 1 11111 {
सि
५
(ति + पि > ~ > = ( ¢ [ (54 ॑ओ > "1" क". 4 (नि ,५ ‰६। % £ १1 - म १ | 4 १ ) ("2 १९५८ - ¢ ~ शर ०४ ष ५ ४ नन पै ज ६ ॐ ॥ अननु ९। & ' 0
~ क (( | -----*- चै ८ =
ए ओ
(१ ध. ५ 9] ष (६ ट ६९ ) 9. 22 |ॐ
| (~ , ॥( ~ & ( 7 रः (६ व“ -9 # च ् ( 2
(-4 ४ । ५१ ^/ <~ ५ ५ | 2, ] | | 2 ८ ~ ५ ८ ्् ॥ 6 ५ । कः 1 ॥ | = &
८.७1 (\ (५/2
॥ ^ ८५. क ५९६ ह (नस्त ५५ . ॥ "स्वि ,*. 2, १,“ {1५1 4 ॐ. ~ | 1॥ 11 र 1; << । | ५,
(4) ।
9 4:
ॐ ञे
9
। 4 नि ४ गोर >^. । 6 ु ग् ब् फु (~ <\ (ह ४ 6 ॥ 4 ~ १८९ (( अ ६५ ५ ॥ ॥ भे १८६ . (८, (111 | ८ ॐ 9 1 0 48 ५ न त = | (६ | ॥ 9८ ट "11 ॥ ॥\ न + य -् । ६ ¦ 1 ¢ (॥ १. ०५८ (| (४ €
प्ट @& ९2 ट 24 ५९ ~ > ः ) भर = 1 | यऽ ~ | <{ [यि ० ध £ 1 मि ~= 444 ष 2 ^; ५९ ५ (> ४ ५ स ५ ये 3 ( 4 मज =-= ~ 1 । ~~ = ॥ १ ~ < 1 | = = = ~ ==
॥
की नि
|
५ (6 >= ५ ॥ ५ { न्न | /( । # पि `] ||| 1 23 क 2 ५८ ॥ ५ ४५; 4 + 4 4 ५ ४। 2 म = ४, १ १ ५ * नि ५ , १ 2; न 8। द |, 9. छः र ॥ि £ | “` (8 ष ~. 3 (भ ~ ग्य - च =^ 1 ( ५२ १, ॥ ५ ॥ .{4 (> 4. ~ =>, ४ # +“ र ५.५ १३०४ त -¶ *, , ६/ 5 र & व | गत; 4 \ || ५ # ११५५८४०, == = [> "4 ; | ~, † | | #१।१ ~ ^ | ४ \ | | | | ४ + / ^. ( | | ।ओ | 1 । | 1) व ॥ | ४०१ ॥ 4 | | फ 1 इ =) ॥ क | 4 # < * 5 | र | 4 र = । ॥ | ५ | | । | ॥ # ) 0 ५ ४,४ | > ~ 9) | १.५ [म ५४4 ॥ ॥। | [अ~ च +) ॥ ९
र त निशि णक 1 3 ग री क तियनक म 4 ल ०८ ृपिणायाानयणििनािहज हुक किक कण ए 39 „ ++ म ~ (1
दत न १ 1, क च, रै १ 1 44) ५ | ' १४ ध + ६.९५.) 1.१ मः
4 011 ॥ 6 + 4 १ ॐ र : श
भाप परयाअवतीर्णम् अनोऽपुवीोवेदं शासूपे अनःअभृतदयसंयुतेरसरूपं भागवतंरैरसज्ञाःअतोपक्तिमनःपुरषायुहुषुहुःपिवत | [% ।. १ ||| ऽएवेग्सोङ्जयेणभोतृनभिभुखीरूयभागवतशास्तमार मते भैभिषारण्येरिष्णुकषनेशोनरादयःकषयःभीरिषाषय सहससय ||| ' . . ||| सरसाध्येसभेरूतसेनःएकरापे्रसयःपातहुतहुवाणनयःसेतःआसीरनरोमरषण पुर सूतं सरूखथच्छुः भरषयञचु ह ,. .: . || तखयासेतिहासपरणातिध्मशारूमाणिवयानियासःअन्येपुनयश्वरिडुःनानिसवाणिअधीतानिव्याख्यातानिच हैसोस्यतेषाभ्||| =. . ` ||[|इगरहात तसरं यतःस्मिग्यस्यशिष्यस्यगुरवमयुल्यमपिबूयुः अतः शस्थेपुसं तत्|| || ||सःवद् यतःकलोजनाःअङसाःअस्यायुषः अस्य बुडयश्च श्रोतव्यानितु बहूनि , ˆ || | न्वर् येमादयासं प्रसीदयि किंव रै सूत यद॑ग्न विष्णुः पसुरेयस्यर ||. ^. ||||भगृणन्सरः संसारान् युच्यते यनास्स.भयसमपिबिभेमि ययारसंश्रयाः युनयःदशनादेवपुनंति गगोदकानितुसेबायुनति्| | . `. ||| वंभूतस्यकङिमंजापहयशःशदिकापःकोवानथणुयात् किच शरद्यवनोनःललयाकलाःदधत्ः तस्यउदुराणि ् , ||| मस्या यवनारकथाश्चबरूहि षयेतुउ्तसभ्योकस्यरिक्मेनविरृप्यामः यतुशृण्यतां रसज्ञानां परपदेस्वाद् चं क्पटमारुषः१| || : ` ||| गवान् शवः बररभेणसहयाभिदीर्योणिङूनवार् तानिवद नयुकर्वव्य्ाणोङुतेःवणावसशःस्यादन आहुः धाता ˆ ||| खातङ्यात् षष्णुपदेगेुकमाःरीपैसभमिषेणररः रथायोरव्थावसाशाःपयमरपविशाःस्पअसिन्सप्थैव हश ई ः „ .. ||| पहि इतिअभिनेदेति अरीदुस्तरेरुरिततशच्छतानः धाक्रालंरशितः यथापुसौ सयुद्तरणेनाबिकः तहत् वित धर्ष . - . ` ||रेश्रीरुणेअधुनाखवसरूपंपासेसतिधमः कंपति शरणे गतः त बूहि २३ इतिशरीभ्रडागवतदूणिकायाप्र ¦
ष दभाद्मरशनेसति भवति अतेःकषयःशुदावासफदेवेभक्तिङुर ति इदानी ह एवरेश्वरः स्थियायर्थदरिषिरिदिहरेतिसंज्ाः धते तेषीमध्येवा दवा, यं ` “ ` || शिष्येरशेयति यथााघात्धूमःपदनिखभावः तस्पात् अनिःएवंपस.संका शात् रजोगुणशष्ठःतस्मात् सखयणः | ` ||| श्च अत्तलङणोषा्धीनिंभष्यमुतरोनरसुरय् अतयुयुक्षवीयनयः भगवतं क्षमाय जग रज लापय ||||प्रजेप्सवःसंतःपितृभूपादीस् रजति वासुदेव परावैदाारूदेबपरामा बासदेवपरयोगाबार दब ५ ` . ||| षरलानेवासरेवपरंपपेः बासदेव परोध्ीवासरेवपगगनिः एवं भूतो भगवान् आलभाययाइद विभवं अयेससजतः || ||पविषटसनूयणवानिवभामियरुषु भनिर्थथानथादरिःधूतेषुमानेव भाति स्यौ सादितेषु भूतेषु पधि सन् षय || सएवभगवा् रेवनियड.नरादिषुमेस्वस्यतासदतारःतषुभदुरकतःसन् सखरणेन सो सन् पारयति ४. इपिपथभ॥ . ||| तीयः . सूतउवाच ` संस्थञवतारकथाःशृणुत सएवभगवाम् आरीषीरषश्पं महदरं कारपंचतन्पानैः स धतम् एर “ ||| रौगिवपचराभूतषोडशक्रंसोङभिसृक्षयाजगहे कोसौ भगवाद् अंभसिशयानस्ययस्यना( प पद्या दा ०६८ |||
---<--
` |||विष्यःअवयपैःसवरोङाःकस्पिनाःतत् पगवनःविशुरं सपं सहख पीर ुजानने रडुतम् सहस बु पणा सन सिरजञा| ||बर्याुनयःपश्येति एतदषनानावताराणं कारणम् यस्यशंशोबद्मानस्यअशोमरीच्यादिःननभ्वादयः सल्येते सएव मगाः शटिरूयंसमारंसर्गभाश्रिय भह्मणो भूलाबह्छवयेबतंचयारसपथमः विनी यसारर वपुः भृलारसा तगत +~
आओ-५. अद्या रीनाम्
` "------ ऋ-न ~रः ~ प च (-0.0 1654 = ॥ ।<.5.28111181 | 10181181 ©0\611170611 0157161 | 10/81/ १281189). [14111260 0\/ ©©8110011 र | -*-----^ ग ~> ~~ "अ म ४4 364 क कक व
. || सीधडु्ारनाभे येर्देया ्षो भूवा पारमहंस्य रशंयत् न
||| हीरतरान् पृीयेनारदस्पदेवर्िलंगृहीलापचरवागमं तृषाम् चतुरथेधप परायोयानरनारायणीभूखादुश्वरं तपश्च {६ र पंचमेकपिलोभूलाभारदिनामोबराह्मणायसास्यशास्पपोवाच षेअभ्रिपल्याअनसूयाया दचानेयःसभ्यपरदहादार || ' . : ||| सेरिभ्यःभलरियारभिवाम् सपप्रशशिषल्यौ आकहयंय्ोपूलारेवगणैःसहस्वाय सुवेयन्व॑तर पारितवान् अष्मंआ-||| ` || | यैमास्यस्पंपृलाचाश्ुषमवतरेमहीमच्य नाविवैवश्वनं मसु भरोप्यअपात् एकादशेक्मोभूलारवासराणायुदधिम ||| तोसतोमंदरारिपएषेदध शदशेषन्वेतरिसनआयुद पशितवान् भयोदशे मोहनी सूपभूखाअसुगान् षच ५२ धलारेवार्||| .. . ||||अमृतेअपाययत् बतुरदशेदिही भूलानसैःरिरण्यफशिपुक्षमिषिदयाः पंचदशेवामनोभूतवाभिपादभूषियाज्राखदे|| || . ||| नबलिरविरयिलास्वंररायदरी षोडशेषरफगमो भूलापएरूपिशतिवारंनिःक्ष्ोमहीअर्रेत् सपदशे पराशरन् सयव ||| यायासो भूलाअर्पपज्ञाय् पंसोर्लावेररोःशाखाःकतबार् अशदशेदाशरथीरमोभूलासपुटनियहारीमिकम्रणिङ् || : ` . ^ ||| तवान् एकोन पिशेपिशेचदृष्णिषुरामरुष्णौ भूलापुवःभारं अहर् एकि शेरली संपरतेदैयमोहनायदुदनामारकट || |||बभरिष्यति तरतःहापिशेकरे,अते ट्यु परायषुरजसुसस्फपिष्णु यशसःआह्मणानकस्किपविष्यति हैहिजाःहरैःऽ र ` ||||याःअवतारम्यंथासरोवरान्सदसशक्षदपराहाःनिगेच्छंनि तथाफरषिमसुदेव मनुपु्रपजापतिपभूतयः हरेः अंशाः क
||लाश्र्यः 1 अथेषोप्रयोजनपराह एतेस्व यरा पीडितंजगत् भदति तराफखयंपि
` ||| अवतःरदयजन्मयःमायंयातःपेत्सदःससंयादियुचये एतन् पगवनोस्संमायारुणेःमहदादिषिः अह्मणिअन्ञैःकस्पिन || = ~
। @2-0.011185 31111 ।<.3.28111181 | {08181 ध [21511 1 10181\/ \/2/81881. [21011266 0 €6810011 क:
॥ | = एषेरिगशरीरमपिजीयोपाथितयङव्यितमलि इमेस्धूरसृसलरपेज्ञनेनयदपरपिपिरेषव ||| इः ` ` ३ || संमरोजीदहवमयति एष भगवतः जन्परमोणिकवयःवर्णयेनि सभगवान् विभ्वं पविश्यविषयानुगरहनूजगवालनादि ||. =
ऊचुः ~ #व | ॥ । = 9 >~ ~ [734 ॥ ८०८ =
श्रियः |, --------------=--<- ६७ 11 ५ । ॥ ॥ ८1
\ । र ॥ क ॥ पर । [| । £ ४ अ | कपर १ न 1 | ^ ५ क. र । | > ११५. 3 { ० | ++ + निरयो = बे ` = ~^ ५ ् ् र, ५. (1 1 ५ ् ५ षं भज न्क ~ ए ~ १) ति ० --------- ~ ~ ~ ९9: 0.00८.111. = .78111181 (1018118) 60/61/1061 7811101 (1018)/ \/3181189- > 220-9/-(>29011 0111 ~~ _ यय 1 ऋरन् ~ व „= „> निवि ` 0 न प्श ॥ व ¢
प कवाुसिसर्ेपाणिनं ंश्वरसि अतेनयूरंयतैनसूरचष्ल नाद्वा, सयाक्वरुभ|| =
|
५) ` <-0.001685/ 9111 ॥९.3.281118॥ [10181180 @0\/611161 [15116 | 10/81\/ \/2/8/1851. 21411260 0 60810011 54, व = ` ' ध = र | "क = 1 = ` 4 ९ । #. 8. ` # ~ १ +^ {3 हि =: क की ४ ह > ~ जै नि ५ क ¶ कथ क ॐ धः न्क च । ४ । क 9 4..6 + द - ४ # ` + ४ „5 ~ {4 ५२ ~ ४.५ ११ [= हः ~ ष ६ ९ । + ६ #।
, भ्रा | | गव्य शःअरुक्तपायतदेअसंनोषेकारणं अरं मन्य शचि यथायपरादयोऽथाभ्बणिताःथाभगवन्पहिपानणिकरविच हरे | र ` ` ¢ ` | ||पतियहत्वःसगणीतनत् वरचैायसंनर्थयन्येते प्तिश्ीरे अपशब्दयुक्तेपिषासःप्योगेभगयय शःअस्तिचेत् सएववागििसर्गःत || `. ` ||||मेवसाधकःशृण्वंतिगायेनि गृणेतिच रिनेष्कम्येमपिन्तान भक्तिहीनं पेत् अयर्थन गोपते ुतनःरेश्परेनअपिनेदुःखस्पंका- || सयंक्पंशोषेत अतहैमहाभागलंयथाथषीःअमितस्मात् असखिलस्यवंधयुक्तयेभगवही ला रिस क्ये णस्पलाव्णीयं असय . || ह्रिविषिताप् पथकर शपुसःमतिःकापिरिषयेस्थानेनरभेते यथावातेन आहतानीः तदत् शिच भारवारिषुकाभ्येरूपणिर ` . | ||आसंक्तस्यपुसमथमोर्थनदेवसम्यकपौरिङ्थयत'तवमहान् अन्यायम्यतः सरक्त धेडतिसन्वानोजन || |णेनिवारणनसन्यने विच क्षणःपुरषस्कं ५७ र अहतिनपरत्तिख भाव गुणैः
१. । २२ ` ५ 9, म (€-0.0411165/\511॥1 (<. 5.2811/18॥ (10181811 0५ { 2151161 | 10 \/ (1911260 2८88) ॥ 4 प ¢ 9 ष {रि 1 ॥ ॐ | कष्या च + ॥ ` ^ ` ० ~^ १५, । का "र ^ „० € यि ककन * = * न ष्ठ ११. ^=:
2 क 1 1 त
शिबज्जखान् सरोवरादीन्
न रसेटयादनोपवनानि सिषयातुविकिभायीय
थ = बनि
भार नेमिम् एवंष्यायतःमेडदिहरिः आविष तनःआनंदमः सन् आलानं परंचनापश्यम् नतःपरगवत दपं पश्य ४ # ५ |||सुसन् सहसारथितोस्पि पुन स पानीऽपिनापश्यम् एवं बने यतेतमा आकाशवारआह अस्मिनजयनिमा इङ ||
|| तभ्कारैगरखुकालःपरारुर भूत् ननोमरेहःअपतत् कसयनिशिषयिषोःबह्मणःसध्यं तउ न तेनसह् अहं पाबिशय् युनःकल्यारोर || | रंखड्भिच्छतःबह्यणःपणेभ्यःमरीव्यादयोखषयः अहदनतः सोहं शीहरेरसु यहात् कविदपिअङदगतिःसयुदेबटताबीणा ` ||| वारयन् हरिकथागायमानभअद्छांड चमामि एवंगायतःपः शनं याति ेषथिष। पुतरणेह| | ` |||रिभजनमेवपः दशःकिन्व हरिसेवथायथामनः शास्यति थायभादि रेन हैव्यासंः यु जूतड || वाचः . एवमाभाष्यवीणोरणयसूनाररीययो अहो अयंदेवषिःथन्यम्यतःवीणयाहःकीरविंगायन् आतुरंजगवूशमयति ३ “इ || ||तिपरथमेषश्ः६ शोनकडवास भारदैगतेसतिव्यासःकिमकरीत् सतवा सरखलयाःपश्ियेनरेस्वेशम्यापासै आश्रमेवयासःआचम्योपंविष्ठःसन्मनः धयो तमःमनसिषथमं परुषंतन्यायाच अपश्यत् ययामोहितोजीवःअन थ पाञ्ति || | वतःअधोक्षनेभक्तियोगेच अपश्यत् एपत् सरदेरखवा एवं अजानतःरोकस्यहिताय भागवतीं संहिता चकर यस्यविशूयमाणायं ` ||| छषोपरमपूरुषे भक्तिस्यद्यतेपुसःशोकपोहजग पहा एवंसंहितो रला शकं अध्यापयामास शोनक्डवाच _ हैसूतसः ||शक सर्वन्ोपेक्षकआद्यारमोपिदमो जहती संहितोकस्यहैतीः सुतडवाच -आह्मारमाअपिसुनसण्टुरीभक्तिङु
„ | ` | < ©0-0.20५1185\/ 911 ।<.5.721118॥1 | 10 00\/6111116171 [2181161 । 1081 2180859} ..01011260 0 &68000111 -
(1 | 0. | 1 ` 1॥ ` . “+ अति ४६ च २ ५९ ९. । ९ पि ५ + + + ०] ^ ~ र १४५२१ १.08 1१ ` ५: ५ ॥ ›ॐ 3 ५ "भद 1 चौक {| दू. 1 र भष ||| पोबध्यताय् एवंरुष्णेनवोरिनोप्यनुनःरैणिहयुनेच्छत् अथुखशििरेएयशेरैयदौपयेनंसेणिन्पषेदयत् तदा पडत ||| - ५ [7 क्री [ , ६॥ 8. - ध , 4 च "9. "11 । ्
व
। 4
६ ||| थाआनतेअग्वयामानेदश्वापणम्यएषःपुच्यता युव्यतामिति आह किंच यतम्दमाअस्यपिपुःसकाशादस््यामरशेकषित||| ,
|||तौरोरिमि तयास्य माताङूपीमारोदीत् थैरालभिःभह्यङ्रंकोपितेतत् तैषोसातुबंधरंददमि सूतऽाच ,. एव॑षष्यन्या|| || |्येचतस्याःवचःश्ुलाधमौदयःश्रारुष्णश्चतो पशशेसः ततमकुदोभीयआह अहौ अनेनव्य्थगारवधःरनःअनौःस्यवधए || ||
|| | वशचेयातिति भी मस्यगपयाश्चयचनेश्ुखाअजंनस्यसुखे आली स्य शरी ए रीर ह ९५९. ||
| |बह्मणोनहतव्यदतिमयैवकथितेतखतिपारय उतचस्वपतिजोमम पाँचास्याः पी ससनस्य्। भय यथात ५; 1०, ||| बाच अर्सुनपगवदभिपरायंज्ञालाअश्वथाम्मःसङे शं शिरोगतं मणिजहार ततोबईअश्वथा | |||रात्रिःसारितवान् बपनेदविणायानंस्थानानियोपणं तथा आद्यणायपरानोअयभेवधःनदैदिदडपि तनपोडवाशपय-
||| सएवरोणःपजास्पेणासे स्यस्चीकपोभासे यतःबीरसुननत्यरेङरेपु्यदुःखयिषनार सि अपि यथाअहमृतवसा || `
, |सहशोकानोः संनःमुतवालानो ओध्ैदिकं चुः, उनिषथमेससमः० सूतउवाच्च अयतेपाडवारस्मिय रस्त ||| `` `
|| मृतानोडरकरानार्थरुष्णेनसहगेग जगुः ततःउदकंदलामिरापंब रलारसालाचप्थित् कत इुगांारेपर पथा |मारिसहियुधिधिरेषऋषिभिः सहरूषणःकारस्यचगपि दशेयम् सा यामास ततौ थिलायुधिधिरस्यश
|ज्येसंसाध्यतिभिरभ्वमेधेपेमराजयाजयिलावय शः शतमन्यरिषरिश्ुबिसतायपाड वान् एषवाउडवसाखय।कयुतः णायन
|भिःूनितश्वशरीरूणाः हारकोगेतु रथमाशूरोह एतस्पिन्मवसरेधारतीउत्तर पातासत भा हैरषणरूणमोपाहि अर्थतसां
६1.
, ८-0-८0 १ ९.3.7011/18॥ | 10 30\/8111 { 21511 10 [\/ \/ ( [21611266 2\/ 6810011
क ॥ि श क ३.5 ` प् ^4
यसंददशरः मोद्य अभ्नियाति सतुमोकमद्हस परंमेगभमापतपु . सतवा उवाचः `इतितस्यादानेषचःश्चलाइदं अपाव भूनरंकतं स्वोपरिआपततःपेचशरन् भरष्य भस्पाणिभाददुः भक्तषसलः शरीरष्णेआश्वरन ततःजद्यास्िनियुकैःपोडबादिभिः रभावसरशरंभव्ययंयोगिनामपिदुेयंलीनमस्ये रष्णायवासु ५ थाक्सेनरदारेवकालयासकूदिमोकिता वेथाअहन || || ` नशाश्वत् |||
| तेनमःहैरूष्णला अनाटिति
1.81 1 व | आहू भु १९२ हु
तिव नान रणायतीणकरमोणिव रेजत रति एव पूतस्यतचितयेशनगायंनिव
। । ॥ ८ 1 । १४ || चाशदखधैयपा हमकपार मः सुद > ( खयबुजातूषिना गा पनाअच्यजा आश्रयोनास्ति ।स्व-अ॥ | 9 । # [0 © => । द्यः ध ष् । इरानी {1 [१ ६ त नि) ए । 4 पिन्व - च ४ यरदालंभस्मार्बपश्यमि # । < ४1 \ खुरदैः ष 7 # 1 9 अक्षिति ५१ ध, ¢ ॥ 2) कै ६ “> र प - 4७४ र ह # तै 4 क च 4: ट त [4 ५१ श १५२ भ ५ । | ©{ ९ । क 4 0. क 11. 9 + 4: १ 9८ $ ` + 1) १५ 8ि 4 $ -
((-0.041165\/ 51111 |९.5.78111क | 10 2०५ { [2151161 | 10181 \/ [21411260 0\ 66810011 “
| पवेतोनाररोधोम्योयासः खहरण्वाभरशजःपर एरापःउसि र ||करअनययकसयरिष्यःहीषयंदआगतभान्यपषर तप्याय ल पास य वथधोयनाधयोःसयः _- |||षनलतमीपेभसोनान परय अपव आहत सी ` |||सूतनीयुष्पङनेबहन शात पासा भवताद्य ततस्र ण्ह सह ध
| प ५
$ क
| --0.00185 ` 51111 ॥<.5.2811181 1 10181181 60४7 03116 | 1018 \/21811881. [21111260 0\/ 6810011 + ~ र
# ~ न न + वै ० ह व क
सोषिपत् नसयादिददेवाधानेपनयेऽन|| त 7रयोिडुःयंभतिलंमा
सेए £) ३१1} | <=] तथापिएकातिभकेषुत् । अच्युतेमनःस्याप्यवांचीतननामदतयन् यभ्योगी || एबभी-|| . `
~ 1 "4 द (१ च ~ {{- ` र र" १.द.७ + } ५ = भां २, ( १ » ऋ पः च मेगतिरस्त = ् : त च @. नवात. ॥ कःय तैर
८. ॥
0 त
भा ॥ 8 7 कः ॥। #
9 क क ग्न | ५ | ५.२ ॥
9
.. | ||इञउदसायकीचामरेजगरहतुःविपाःभशिषोददुःकिच करवस्पीणोपरस्परमालापाब भूः तैव यः ` ~ || [बयःददेमिसक्षतीमायां अनुसतवान् कवि योगिनम्यसरअमरबुद्यापश्येनि कच यद्रजगतुखीलया सजति अवति अति ए ` ||| नतमसज्नपे चि यदादुशराजानः पदनि तदजगवेक्षेमाययशूपाणिधते सएवायंश्रीरुष्णःकिर अहो यदोपकुरधन्य मथु
= „ . |च यस्पात्रुष्णःस्वजन्यनागमनेनय पूजयति तच अरौहरकापिथन्या यतःयस्याप्रनाःस्मितावरोर पगवतपश्यति ||| `
1 अपिच चैयारीन्पमथ्यवीये शल्देन आनीताःरुश्मिण्यादयःस्मियः धन्याःयतभ्तासा गृहात् मगवाचूनग च्छति एवग्दतीस््। |
स्यादिपियलाबाणपनयरंथन् रामृदगकेयादयभेरुःपथापासारारूलाःकुरस्मियःधरुणोदुसमेःवदषुःतराभरौनः उतजय |
2494 | ८ , ©60.00ा165/ 3 (८.5. का1181 [10181809 60611716 [2151161 | 10181 \/28185;. 01011120 0\/ 6068001
¢ ध
सूतमागध्बेदिनः भगवञ्रितानिगा्यतस्य् ४
॥ ` ०९९ . ९ ~र ९ ऋऋ 3 = १.1 ष =“ ह § इ । नर्न &१। च्छे ९० < ५1 ९,।ॐ ५ एब तः वदै ॥॥ 4 ॥ + ४, । हः ए । नू फ | ॥ ६ ष ॥ त कनी) ६ 7) 1 4 ।॥ 4 ~ ^ > कक्व्च्छः । ॥ भ च् त्न #। युत् 9
४ सोकःविषयिणंफयतेयतोऽबुधः सिदत 1 नयु व ज्यतेऽतियत्नभूराःस्मियःस्पेणमेनिरे अहकारघरसय कचज्ञ पुथामन्येषेतइत् ३९ . इ 4. . | |ौच्ड क हेसूतअन्वथाम्तासुक्तेनव्रह्मास्वेणयीडितःउतरायाःगभःसगवतारुष्णेन जीत तस्यषशषितःजन्धकस गेनम् हस्प्परगहेयानंयनेसीषितभरकेनि+ = `
(«-0.001168)/ 31111 |९.3.78/1181 | 10 (30५, 1 [0151161 | 1081 \(8/8/185]. 1411260 0\/ 6810011 ॥
क चूसुधिषिरपितृदत पजाःपाउयामास नस्यमुङुदमनसःसंपद्ः
| तिथनामि तथायस्वशकसानंयथा अदत् वसर्ैभरोतुभिच्छापि
||| शसा कठेःमिय॒हीना
कन ५, ४ ° = # र [9 पि १ ॥ न 1 + >~" चः र ` । ५। #ि 1
भातरः १० ॥
#
यत्व
। # ^ - ©0-0.0041168/ 51111 ।<.5.78/1/181 | 1018180 ©0४८७अा77नं 0151161 | 1018४ \/2/81851. [10111260 0\/ 6809011
4 कि नि गी णी | कै
|| युःकाकयतःपेत्ङ्ञालाबिदुरुधृतराषभभाषत हेपतरष्गहात् शघमिर्गम्यतो अयं ष क व. इ # ¢ “ ||पिक्रियाभरियः्रणेरपिनयनकारेनअयंजनःपाणादिभिियुज्यते तपित षादृसडलुषाः हायश्वापिगतरहश अस्य
इस्पि ध भगवःतंभभि|| ` . भयव ॥|
`“ . ||| तरह हैरानर् शकंमाङ्रः यत्दनगन् कारापीनेइमेरोसाः वाकं यावः संतः रुरायविवहति ||| ईषान यथाकासेपसकरणोवोगसयेगीसतीरचछयाभवतनदत नीच्या वमिभ
प: नि 4... 1} रः ५ ~ + 1 । र । < # + नि, , १.9 + 4 - (द् ६ (य । ‡ नि | ( न् ५ ह. (> 2 ४, + । च् ‰, | धि) ४ ५ ] ^ * ~ री | ७ च ] नती 8 न च ] त ४ ~> ~ 7 = क > श 1 भम ¬ १ "4 । र | ठ + ` , -0.001165 9110 <.5.7811/18॥ [10181811 0४776 0191101 1 10181\/ \/218/1881. 10111260 0/ 6681001 _ = ` = ५ अ त १ १ 4 अ= १1. = ॐ कै ` "न ङ + 1 ड" ~= 1 न १ ५ †
+" 9 नि) न्क च वे ह ।॥ = क नी +) न ॥ ॥ ) भि ^? ५५। + {॥ , प्छ > % 4 # त +, त च ॥ छ 69 वब क 13 9 ॥ ^ (५ ् १ वी १. १ र 1 ि) दु [4 के भ्रा | ~ ॥ = ~ की 3. +^ ] १ ॥,1 'प्ः त त र # 1 # च ० १0 [1 ह~ ॥ हः ॐ । ४: = 8 । न 4 # ह । क 9 ॥, |
|| जाशबरुबिजयश्वएतेऽस्पारं आसन् संपमवाय् स्वस्थान त किम् हेभीमरियान् भोमानरदिरोश्डभयसूदकाच् उखाताच् ||| पश्य तैचममवामो्वकषिबाहःस्फुरपि दिप
4 (0. ५ १] च ^ ४ म त र || ^ # ६ = च = रु $ <# । ) ई ः ` 00.८०.८२ अपा त 3.एतम (ण गाना ©रतिला। फत् 1 6/४ [01912९0 ५ 62001 प 111 १ च श ६० 10 4 १ न ~. ¢+ ५ ६ भ ॐ ` व ॐ क ७ - ५ ५ 5५ ५ . \ 0 [4 - ४ 9 १२ ‡ ४. = १ र, ॥., । १ + . क $" ^ # चै 4 ष ध ४ प > भुन ६२१ १२। र १1 4 =. च { कं ५ >. + ¢ ॐ + म *
11... 11 $. |
||पिसस्युःससेवपित्पसुषस्यमेऽपराधंेर मनपरुषोसमे “ ||| सोहेरथीतरेवधरुमएवशरःसएवरथःतएवरयाः एवस
+ भ ३.२ ¦ + 6-0.6001165)/ 5111 ।<.5.2811/1811 10181181 ७0 2111 [2151101 | 10181 \/ . 1011260 0 8810401 । | 0 ~य ~ ष 9 न ् | ध 4 दु | क ध ॥ अन, (9 ~ (= ३ "^ =
५
+ तःटिमिजयेनूपलिगथरेगोभिशनपदाधरनेररिमिगृहीतबान् शीनङृडवाच दैसूतपराक्षनूरुस्हनोःकरिनिनयाहयः|||| ङः ` . ` . १६ || परागोअहनत् सम्कमृदरःइररूष्णकथाश्रयमृसि चेत् तरि स्थय व प यैःथाआयुःनश्यतिअस्पाकंसन ||| = ` ` |||पयललोपिहरिकुयाश्ररणाथएय अस्पिनूसमेप्रयुःआहतःअनमसत्रसमापिषयतंकोपिजनःनध्ियत अनेनश्रगवक्था || _ ; : ||||अरवणावका शसूमितिः अरोहरिरुथापानं विना अस्यभस्पायुषःजनस्य आयुःरामीनिरया दिवा क्मभिःन श्यति प ; ` . |||तदरिकिथोङ्थय . सूतउवाच यदास्वदेशेकरिषविष्ठसशराय पदारथ भास्थायधुशरलासेनयादतःपर क्षित् || ` ` ||रिप्विजियार्थपुराप् निगतिसम् भद्रपमेतुमारं भारतं वषंरसरार् युङश्चरिजियकरंजगुरे तसतयजनैगीौ यानंशखपवेषा `, ||| यशःअश्वथाम्मोऽरूगतःस्वरक्षणंरणणिपा्थानोके शपेभशषित्शरुवासंते-सनतेष्यन्थनानियासािहारध्वदय किदपाड|| ` . -[वेषुशरुष्णस्यसारथ्यारिरूपाणि शृण्वन् भिष्णीश्वरणारविदेभर्भिरूनवार् तदाएव रमेमानस्यराजञसतःयहृत्तातु य |||. ` ||| एतस्िनूरारेएकेतपराचरन् इषस्पथरः धम गोरा पृ श्वीरुदतीआरक्षय उवाच दैषदेपेअनामयरबित् यतःम्ानवद् || . |||नाअसिअनोभवतीअंतरा धिआरक्षये कित्व पदन्यूनं एकपारेमातथाभूयः भोश्यमाणा आदान वा शोचि व क |
५९|| असुर द्तयज्ञ भागावृदेवारं शोरमि रवि १तभिःअडष्यपाणाःस्वियः पितृभिररक्ष्यमाणानूबाज सुरः ० ||| देस्थितासरस्वती गकदि व धून वाजारक्मौदयधभमिरतेजीवणोङंवा पूभारमा शाथ छतायतारस्यहू षर त ||नतेःवाशोचसिकषिमू हैवसुधरेयनलकशता'भनकारणङुथय . भर्युवाच् ₹थर यपा (तत् `, ९५०१ ||| | स्याश्रयेणलंचतुष्यार् आसीःयस्पिन् भगवति सयं शोेदयाक्षानिस्यागः संनोषजेवम् शमोदमस्तपःसाम्यनितेक्ाप् ||
र
४ 0-0.20165\ 3111 ।<.5.781118 | 10/8/1817 धा 0181161 [10781 ४/व 81185. 01011760 0\/ ९७870नीं ^ र > > कक श व = क ध ^ 4 क ~ क =
@ व्र ् ~ | > क क क कके > क ^ वितत ¬
. £ निवासेनरहितेपाप्मनाफसिनाअययोकितेचरोके शोचामि तथा आत्मानं भवेपेपिवनरसीनरेवान् साधून बणोप्
५ 2 1
सनित र |
शोचामि कियस्याःपसादंबह्यार्योवा्छंनि सार्वः सगृहं कमसयनंहिखायसाद पदे भजनेतस्य भगेवत्श्रामसदेभ्रि || हितोअतएवगवितामाय॑भ्यक्तवान् श्वि यःयटुषुअतीयपू परारंजहार एवं मूतस्यमगयनःविरहंकवासरेत एवे पराचीस रस्वतीलीरि पृथ्वीपयोःकथयनीः 1 ३९ ` व ६५ सूतउबा त्रसं रखद्यागजापरीक्षित् द्डहस्तसृपपि हु धरमूद्रतथापयात् सू्यतंन्बेतं एकपाद श्रूदताडित चषनथाभूटपदाहतो साशरुषद् ||नोरृणभिच्छतीगाचरास्वयरथारूटःभूतकाुकभ्सन् गं भीरबाचापपच्छ अस्मिम् मच्छरणेलोकेवला तृदीनानूरंभि एवं | 1 कर्मणाभूदरःवंकोऽभिरि्वि अर्जुनेन सर्रीरूणो अंतहितेसति निर पराधानुरहसि प्रह्रभि अतस्तंवधम || , ||ह (१ पनतः षं प्याह हैरषभ्वेतं वणं पारैन्यूनः सं रोऽसि फथ्िरैषःस एृषसूपेण अस्यान् सेरयन् वर्तसेकिम् ईच पांडवर|| “ ||||क्षितेभरूतसेतेअभ्रूणिषिनारतरेषा पाणिनामश्रूणिनासुपतंति लमपि शोर पङुरु अस्परापृशूद्ात् ते पयमपयतुगपरयाहः . || |दैवसखंखानोमयि शस्तरिसतिलंमारोदाः ङ्त अदोथस्यरन्येद्शेःपजाःनस्यते तस्यराक्तःकयायुमोग्यपरलोकान || ` श्यति ङि रीनानादुःखहरणमेवरजापरोधर्मःअतपएनंभूरेवधिष्यामि हदषव फदाय् र.भरण्वत्पंभस्पकीपिनाशङ् || , ` “ यि
चसादुमणगोटमत वपि ुरनमनौमयतमादिायदै || ` `
` || ||तरिंवद् किंच निरपराधभूतेषुअपराधक्वतुःदेषस्यापि ||| : धर्यउवात्रः एतदपोडेयानोयुक्तमानभयपः।
- ॥ (1 ज, ^ 3 । ^ न 9 "3 भ् 1 # ४? क = 8 - 1 । 0 ^) ि , 1 क + * न) ६ { 4 † [1 % ॐ ५५. ॥ श ए +भ ०) °. = न~, ५ + ॥ + > । +" + न क. ` भ र १ नि ॥ नि ह क : ॥ "~ ध > न ॥ र न ह 24 क ॥ च ॐ र, # न, + {१४ ध + र क भ ९ ( च ॥ न्क ) र ७ >^ ग कि ३ कर ~ #॥ 8 ऋ. + णे ` 1. ~ अ =; ५ । | 1.5) न. 4 1111 1 - ~ ह श 91 न» 2 व ७ * ॥ क ^~ 4 न ५ > क ~ त „ (र क ~+ प्व. "च द ४ ग - 7) त १४9 न र भ १) - १ ननन (~ ऋ
, ४, £6-0.60५1185 3911<.8.28111087 1 91 वाव) 0५७7 लं 1101814 \/31811891 0101260 0/ 60680001 = ` ; इ
भाप व मसावादिभिःषयबिमोहिताः अतहैगजव् खंसवबुद्ाटुःसखरानारेविचास्य एवंरकैसतिगनमोहुःसन्निश्रियउवाच | ॥ § १९ जोषाच खंदषरूषीधमेासि यतःखंघानरजानन्नपिनसूचयरेवरूपंयमंबयीषि सजने रोप त ` . |||पिषवतिअथवाभगवन्परायायाः्गनिरगोचरा अतनोक्तवान् रिति तपःशोचंरयासलयंरतिवलारतवपादास्तचध्येभयमीशः || ` - ` ` . |||स्पयसेगमरेःअयोभगनाइगनीसयरूपःएरःएवरवैरितःतमपिअधमःक रिष िच्छति विच इयंउरुभराकता भगवतः ताचभूःमोमूदाभो श्येती निरतो शचि इनिधर्ममहीच सां खथिलाकणिह परात् सड आदरे एवाह शंपरीकिर्तदछायूप विनहमिहायरलि.तञ्रणयोःपतितः पनःतेतथाविषं रघादयालुः सजाने अवधीत् आह्व रजौक्च हैक्येक्दाजरे||| . ||तीःतवमत्तभयंनासि परंवयामहेशैेनवतितययम् यतःखंअयमेवंधुरभि तदेबाह तिसनित
35 तन्ना ८२11
` , ||रकःकरिःन्यवसत्अतरेषलभि्छःपुरुषभ्त्ा पभोषत जाए देत गतःसःवहा धनं ||स पाराशर सराजाधमणटतंसिंहासनेआभिखअयुनागजाद्दयेवषः
ककर
| । १ च ह त् 1. [ ~~ | + १ । ए | ^ ५१५ =
` ` 2-0.04165 ऽ1111 ९.5.818 10 (0५ 1 [2151161 | 10181 \/ [1011260 0४ 63810011 3. ।
$. ||मेसपदशः१०. सूतउवाद युरधित्
भा । तगृगान असुगतःसन् शरंतःुधितःरषितःरं अपश्यद् अस्याशरपर वेश न |च
` " १५ ||| शमीकसुनिरष्लाउदं अयाचत ततःभगाषसकारःरानाआासानं अवज्ञागभिवमसामसरयुनम्सनु कोपन गजाम ||| , ., ॥ पेःसरंषयूनसपैषरुष्कोल्यानिधायपुरंयये यतभ्भस्यचसेःसमाधिःसयःपिश्यावाइतिभिजासयासपस्थापितःनतनस्यषु ||| . ` ||| बभ्यगीनामबासकैःसहकीइन् सन्रा्ोऽपराधंशुलाबासक्मध्यैसद भयवीत् अहोरज्ञोभयैःअयम् कादनामिष चि |||
कित अद्यकोपोथितोभनिःयेसपुरगज्यारिकंदहतुरथिंतयं स
| | ने अथरूष्णापिसेवोअधिकंगन्यमासःगजाभ्गयञ्रणनिरातायागगायोप्रायोपवे शकत वाच् तचसुक्तसमस्वसंगः दाधिरष्योएतस्विनेते तदशनाथसशिष्याःयुनयःपापापतेचअभ्रिःवमिषभव्यवनःशरदान् अरिषनेपिभृयुःअंगिराः||| ` पराशरः विश्वाभिच्ःपरशरमःउतथ्यः इदपमद्ःरथ्पवाहमेधानिधिःदेवरः आषशटिषेणःभारहजणीतपःपियलाद्ये||
मेयःओरैःकवषःअगल्तिःष्यासःनारटःअन्येचरजषिदेवर्षिबह्षयुःएनानसवोय् भभ्यच्यैराजाषदरे सतफसौ पवि |||. `
॥ भ श = ५ । व 7 (| = प] ॥ >= ११ तिथ ^ ~व 3 वि ( ४ †$; 5६4 क ४ . [1 4 (८ ये व ~ .१ १.५ त * ध कः # ५५ = । च र ४: [9 ४. । ४ 3 2 ; (0 ©0-0.0001169/ 91111 1८.8.18 । 10181197) 60५ 1 जालं [0७४ ५/ ५ 1 4
9 8.०2 च छ + २. द न्क | ७ ~ ५; 2 9 + ह 7 [ऋ ०. (1 +न ४
।
भाप प्रय पाणेश्वयस्छमेतरिचारयत कमेषु यागयोगनपोदानादिभिविवरपानैषुसर्फ यदच्छया गं पयरयूस्नीवाेरतःअ ९ १६. ||| वधूतवैषःनिजराभवुषटव्यासंपु्रःततरषासः तंषोडश वरपसङुमार पादायषयवंचारनेमेऽसतनासंतृल्यक्णसः्वा । कंबुरेनिगूदजयु पृथुवक्षसंदिगंबरं वकरपिकीणे$शं परंबवाईस्वमरो्तमाभं ्यार्भर व ` ˆ. |||णन्ञायुनयःआसनेभ्यःपरयुचिताःततप्प्रीक्षिन् आगतायतस्यै शिरसासपयोमाजहार न स सुः ` (||तःसन् पहासनेरपविवेश सदेवर्षिराजर्षिबह्यिसंपेः सं रतः चदददव्यरोचत ततस्पशिन् आसान तसू लनिरिस|| `
` . ||||तयागिर भन्वप्च्छत् अरो वयं ्षमबेधवःपवरिःकृपयायोग्याःछृताःयेषोवःस्मरणाच्एसागृहाःसयः रः श्या ` . |||रशनारिभिःशखतीनियक्तव्यम् ५ योगिन् तेसानिषथ्यात् युंसोमहापापन्यपिसघःनश्यति विष्णसानिष्याद् वा|| = ` . ||| यथा पांडवानोभियःरूष्णःतयोरयथेन हयस्य पतिःखसु अन्यथामियमाणानानः दान ङुथस्याव् अतच || || शरुलोषृच्छपि इहध्रियमाणस्ययर्थयच्छोतव्यंजाय्यस्प्व्यभजनीयंब् (क || || हाश्रमिणोगृहेषुगोरोहनसरुसपिनर ष्यते सूतउवाच - रत्ाएवे एषम मगायू रूपया त १ || ` (1) धेचू्िंकायोर्कोनविंशोऽध्यायः१९ ५, अयस्कभःसमात | || ` || शष भवतु ॥ ६ ` ।॥४। , ५8 ` पसा ` वभा ` चथ ` ॥॥ ॥७।॥ ॥९७॥ _ ५ | |||, भ-ष्अग्रोतग्र्िः ` ` .: ` = स
। प म ¢ । ५ ई १ $ । | १ - ते षौ = ¦ > ~ ९.१ |, वः 1 "^€-0.01165# 911 ॥९.5.281181 [10181181 (30611161 [2151161 [10181 21818591. [1411260 0\/ 68104011 ०.४ [क र 1 १ । ~ ~ १,८.४१ १ (१ | ^ ध न ४ . कि ककं
* * + # १ श # "~ न~ =-= ^ च| के न [१ चक कर कृ कोकाः ग्र नि 1 ॥॥ 1 च व वि क, भक नि क थ | । „> (2 ~ ८ - "=" वू